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Lucknow Nagar Nigam :अधिकारीयों ने कर दिया गलत सर्वे , पहले हाउस टैक्स देते थे 4953, अब मांगे जा रहे 2.24 लाख रुपये परेशान लोग निगम के चक्कर काट रहे हैं।

उत्तर प्रदेश | गलत जीआईएस सर्वे से से एक लाख गृहकरदाता पीड़ित । पहले 4953 रुपये था हाउस टैक्स, अब सवा दो लाख रुपये मांगा जा रहा है। परेशान लोग निगम के चक्कर काट रहे हैं।

गलत और मनमाने तरीके से किए गए गृहकर जीआईएस सर्वे का खामियाजा एक लाख से अधिक भवनस्वामियों को भुगतना पड़ रहा है। सर्वे करने वाली निजी कंपनी का काम सही नहीं होने पर नगर निगम सदन ने पिछले साल 17 नवंबर को इस पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी।

इसके बाद नगर निगम दो महीने चुप्पी साधे रहा। अब निगम प्रशासन ने आपत्ति और नोटिस की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही उसी सर्वे के आधार पर एकतरफा सुनवाई (एक्स पार्टी) करके टैक्स बढ़ा दिया है। अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में अब भवनस्वामी गृहकर जमा करने आ रहे हैं, तो बढ़ा हुआ टैक्स देखकर वे दंग रह जा रहे हैं।

गलत टैक्स से त्रस्त लोग , काट रहे नगर निगम के चक्कर

2903 रुपये चुकाती थीं गृहकर, अब 14,688 रुपये
हजरतगंज रामतीरथ वार्ड में शिरीन हनीफ का मकान है। इनके मकान का आईडी-9157ए27049 है। बीते साल तक 800 वर्ग फीट के इनके मकान का टैक्स महज 2903 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे की वजह से यह अब 14,688 रुपये हो गया है। शिरीन अब नगर निगम का चक्कर काट रही हैं।

4953 रुपये देते थे गृहकर, अब 2.24 लाख मांगा जा रहा

राममोहन राय वार्ड में राजेश कुमार भल्ला और ज्योति भल्ला का मकान है। इनका भवन आईडी 9157ए06291 है। बीते साल तक इनके मकान का 3500 वर्ग फीट कवर्ड एरिया का टैक्स 4953 रुपये सालाना था। गलत जीआईएस सर्वे से अब यह 2.24 लाख रुपये सालाना हो गया है। राजेश टैक्स दुरुस्त कराने के लिए नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं।

गलत सर्वे कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप

सपा के वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता सपा पार्षद दल यावर हुसैन रेशू का आरोप है कि निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए शासन ने जीआईएस सर्वे कराया। यही बात कांग्रेस की वरिष्ठ पार्षद व पूर्व नेता कांग्रेस पार्षद दल ममता चौधरी भी कहती हैं। दोनों का कहना है कि जब नगर निगम के पास खुद टैक्स इंस्पेक्टर हैं, तो फिर क्यों 10 करोड़ रुपये सर्वे पर खर्च किए गए? दोनों कहते हैं, सदन में यह मामला उठाया गया था। ऐेसे में अफसरों को नए सदन का इंतजार करना चाहिए था। जब मामला सदन का था, तो फिर सदन में ही इस पर बात होनी चाहिए थी।

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