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लुधियाना: भारत का मैनचेस्टर और इसकी अनूठी पहचान लुधियाना: भारत का मैनचेस्टर और इसकी अनूठी पहचान

लुधियाना: भारत का मैनचेस्टर

लुधियाना: भारत का मैनचेस्टर और इसकी अनूठी पहचान

लुधियाना: भारत का मैनचेस्टर – लुधियाना को अक्सर “भारत का मैनचेस्टर” कहा जाता है, और इसकी वजह है यहां की संपन्न होजरी और वस्त्र उद्योग। यह शहर न केवल भारत के सबसे बड़े होजरी उत्पादकों में से एक है, बल्कि इसकी निर्यात क्षमता इसे वैश्विक स्तर पर भी खास बनाती है। लुधियाना में बने ऊनी और सूती कपड़े भारत और विदेशों में अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर हैं।

मैनचेस्टर और लुधियाना का संबंध
मैनचेस्टर, इंग्लैंड, 18वीं सदी में औद्योगिक क्रांति का केंद्र था और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध था। इसी तरह, लुधियाना ने भारतीय वस्त्र उद्योग में क्रांति लाने का काम किया है। यहां का होजरी उद्योग स्थानीय कारीगरों और आधुनिक तकनीक का एक बेहतरीन मिश्रण पेश करता है। दोनों शहरों के बीच एक और समानता यह है कि ये रोजगार और आर्थिक विकास के बड़े केंद्र माने जाते हैं।

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पंजाब के अन्य खास स्थान
पंजाब में लुधियाना के अलावा कई जगहें अपनी खासियत के लिए जानी जाती हैं। जालंधर का खेल उपकरण उद्योग दुनिया भर में मशहूर है। यहां बने क्रिकेट बैट और अन्य खेल सामग्री का निर्यात बड़े पैमाने पर किया जाता है। अमृतसर अपने स्वर्ण मंदिर और पारंपरिक पंजाबी दस्तकारी के लिए प्रसिद्ध है। पटियाला का परांदा और पटियाला सूट भी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।

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मैनचेस्टर का ऐतिहासिक महत्व
मैनचेस्टर ने 18वीं और 19वीं सदी में कपड़ा उद्योग में अपनी पकड़ बनाई थी। इसे “कॉटनपोलिस” भी कहा जाता था, क्योंकि वहां बड़े पैमाने पर कपास का उत्पादन होता था। मैनचेस्टर ने न केवल औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा दिया, बल्कि दुनिया भर के व्यापारियों को आकर्षित किया। लुधियाना ने इसी मॉडल को अपनाकर अपनी पहचान बनाई और इसे “मैनचेस्टर ऑफ इंडिया” का खिताब मिला।

लुधियाना भारत का मैनचेस्टर क्यों है, इसका जवाब यहां के उद्योग और विकास की कहानी में छिपा है। पंजाब में अन्य शहरों की भी अपनी अनूठी पहचान है, जो इसे विशेष बनाती है। भारतीय कपड़ा और हस्तशिल्प उद्योग के लिए लुधियाना और मैनचेस्टर दोनों ही प्रेरणास्त्रोत हैं।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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