गुरु नानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है। इस महीने के आखिरी में शुरू होने वाले संसद के सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने की संविधानिक रूप से वापसी की प्रक्रिया अपनाई जायेगी, लेकिन सरकार और किसानों के बीच चल रही इस जंग में कई आंदोलनकारी किसानों ने अपने जान तक गवा दी।
किसान आंदोलन को करीब ग्यारा महीने बीच चुके है इस बीच किसानों ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कई तरह से प्रदर्शन किया। किसानो ने ट्रैक्टर रैली निकली, रेल रोको अभियान चलाया स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले तक ट्रैक्टर मार्च निकली, सारे बॉर्डरों को भी सील किया इस सब के बाद प्रधानमंत्री के एलान से अब किसानों ने रहत की सांस ली है, लेकिन किसान आंदोलन की इस जंग में 730 किसानों की जान गयी।
730 किसानों की लाशों पर सरकार का 11 महीनों तक आंदोलन पर ध्यान न देना और किसानों की वार्ताओं में कोई नतीजा न निकलना इस आंदोलन में सरकार की बड़ी नाकामी रही। सरकार के कई कदम न उठाने से 730 परिवारों के परिजानों को अपनी जान गवानी पड़ी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को दी रहत-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया और कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानून को वापस लेगी और आगामी संसद सत्र में इस बारे में जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है।
जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।’