लखनऊ– आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 15 अगस्त को माटी को जीवंत करने वाले प्रदेश भर के हुनरमंदों का योगी सरकार सम्मान करेगी। इस क्रम में दीपावली के मद्देजर प्रदेश के सभी जिलों में 1500 कारीगरों को ग्रुप में प्रति जिला स्टैंडर्ड साइज के 4-4 जोड़े लक्ष्मी-गणेश के मास्टर मोल्ड्स डाई का वितरण किया जाएगा। इसी दिन लखनऊ के डॉलीबाग स्थित खादी बोर्ड में आयोजित कार्यक्रम में विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल भी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के मास्टर मॉड्यूल्स डाई का वितरण करेंगे।
अंत्योदय के मूल मंत्र को साकार करने को माटी कला बोर्ड का गठन
समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति की खुशहाली ही अंत्योदय का मूल मंत्र है। पुश्तैनी रूप से सदियों से माटी को आकार देने वाले कुम्हार, समाज के अंतिम वर्ग से ही आते हैं। इनकी पहचान कर प्रशिक्षण एवं टूलकिट देकर इनके हुनर को निखारने, उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने, कीमतों को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए योगी सरकार के पहले कार्यकाल में माटी कला बोर्ड का गठन किया गया। गठन के बाद इस विधा से जुड़े करीब 47 हजार कारीगरों की पहचान की गई। मिट्टी इनके लिए बेसिक कच्चा माल है। इसकी कमी न हो, इसके लिए इस समुदाय के करीब 3000 लोगों को स्थानीय स्तर पर तालाबों एवं पोखरों के पट्टे आवंटित किए गये। कम समय में अधिक और गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करने के लिए 8335 कारीगरों को प्रशिक्षण के बाद अत्याधुनिक उपकरण विद्युतचालित चॉक, तैयार उत्पाद को सुरक्षित तरीके से सुखाने के लिए रेक्स, मिट्टी गुथने की मशीन, यूटिलिटी के सामान की बढ़ती मांग के मद्देनजर जिगर जॉली मशीन, लक्ष्मी-गणेश और डिजाइनर दिया बनाने की स्टैंडर्ड साइज की डाइयां दी गईं। खादी बोर्ड के 11 विभागीय मण्डलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्रों पर मास्टर मोल्ड्स / डाई से वर्किंग मोल्ड तैयार करने एवं वर्किंग मोल्ड्स से टेराकोटा मिट्टी मूर्तियों के निर्माण, उनको पकाने, रंगने एवं पैकिंग का अत्याधुनिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हुनर को बाजार से जोड़ने के लिए अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराने को प्रत्येक वर्ष दीपावली पर प्रदेश के 75 जनपदों में 3 दिवसीय माटीकला बिक्री मेला तथा लखनऊ में 10 दिवसीय माटीकला मेला का आयोजन किया जा रहा है। इससे माटीकला बोर्ड के माध्यम से माटीकला कारीगरों को 250 से 300 लाख रुपये की बिक्री का अवसर प्राप्त हो रहा है।
माइक्रो सीएफसी के लिए दस लाख का अनुदान
एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार माइक्रो कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के लिए 10 लाख का अनुदान देती है। 2.5 लाख रुपये इसे लगाने वाली संस्था को खुद वहन करना होता है। कन्नौज, पीलीभीत, बाराबंकी, रामपुर में माइक्रो कॉमन फैसिलिटी सेंटर बन चुके हैं। अमरोहा, मेरठ और गौतमबुद्ध नगर में प्रस्तावित हैं। यही नहीं, माटी कलाकारों के हुनर एवं श्रम के सम्मान के लिए हर साल राज्य एवं मंडल स्तर पर सम्मान समारोह भी आयोजित होता है। अब तक 171 लोगों को पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
सरकार की मदद से प्रति परिवार प्रति माह आय में तीन गुना वृद्धि
मिट्टी के उत्पाद तैयार करने के पेशे से जुड़े परंपरागत लोगों का जीवन बेहतर हो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा रही है। उनके निर्देश और मार्गदर्शन के क्रम में माटी कला बोर्ड लगातार इनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, गुणवत्ता में इनको बेहतर बनाकर बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रहा है। उनको प्रोफेशनल लोगों और निफ्ड जैसी संस्थाओं से जोड़कर प्रशिक्षण दिलाया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्नत किस्म के टूलकिट, बिजली चालित चॉक, पग मिल और तैयार माल समान रूप से शीघ्र पककर तैयार हो इसके लिए आधुनिक भट्ठी भी उपलब्ध कराई गई। सरकार के इन प्रयासों से इस पेशे से जुड़े लोगों की प्रतिमाह आय में करीब तीन गुना वृद्धि हुई है।
-नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव, उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड