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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों ने तोड़ा पुराना मिथक, पढ़िए नतीजों से जुड़ी कुछ बड़ी बातें जहां भाजपा को 47 सीटें मिलीं तो वहीँ कांग्रेस के हाथ सिर्फ 19 सीटें आईं।

नई दिल्ली | BJP ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इतिहास रच दिया है। देवभूमि में लगातार दूसरी बार कमल खिला है। जहां भाजपा को 47 सीटें मिलीं तो वहीँ कांग्रेस के हाथ सिर्फ 19 सीटें आईं। बीजेपी इस जीत से जहां गदगद है, तो वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी की हार ने कुछ चिंता बढ़ा दी है।

खटीमा विधानसभा सीट से सीएम धामी को कांग्रेस के उम्मीदवार भुवन चंद्र कापड़ी से हार का सामना करना पड़ा है।
बहुमत के आंकड़े को पार करने वाली BJP के सामने अब सबसे बड़ा सवाल ये है की वो यहां अगला मुख्यमंत्री किसको बनाएगी।

नतीजों से जुड़ी 10 बड़ी बातें

1. पुष्कर सिंह धामी को 41 हजार 598 वोट मिले हैं, तो भुवन चंद्र कापड़ी 48 हजार 177 वोट मिले हैं। भुवन चंद्र कापड़ी ने 6500 वोटों से जीते हैं।

2. लालकुआं विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व सीएम और पार्टी के दिग्गज नेता हरीश रावत भी 14 हजार वोटों के भारी अंतर से चुनाव हार गए हैं। हालांकि इस बीच हरिद्वार ग्रामीण सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहीं उनकी बेटी अनुपमा रावत जीत गई हैं।

3. उत्तराखंड चुनावों में वोट परस्टेंज की बात करेंगे तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 44.33 फीसदी वोट मिले हैं। कांग्रेस को 37.91 फीसदी वोट मिले हैं। BSP को 4.82 फीसदी, तो समाजवादी पार्टी को मात्र 0.29 फीसदी वोटों से संतुष्ठ होना पड़ा है। आम आदमी पार्टी को इस बार के चुनाव में 3.31 फीसदी वोट पड़े हैं।

4. विधानसभा चुनाव ने उत्तराखंड में दो दशक पुराना मिथक तोड़ दिया है। प्रदेश में अब तक 4 विधानसभा चुनाव हुए हैं। पिछले चार चुनावों में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में आई है। अभी तक किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर सरकार नहीं बनाई है। लेकिन इस बार बीजेपी इस मिथक को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है।

5. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मोदी फैक्टर कायम है। BJP ने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। PM मोदी खुद कई बार उत्तराखंड में चुनावी कैंपेन करने के लिए आए। माना जा रहा है कि इससे 8 से 10 सीटों पर असर पड़ा है।

6. बीजेपी को उत्तराखंड में सीएम बदलने का फायदा हुआ है। 2017 में स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद पांच साल में बीजेपी ने 3 मुख्यमंत्री बदले। सबसे पहले केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया था। लेकिन उनकी कार्यशैली पर कार्यकर्ताओं और विधायकों ने सवाल उठाए थे। इसके बाद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई। तीरथ के बयानों ने पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थी। इसके बाद युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को चुनाव से 8 महीने पहले CM बनाया गया। धामी ने सक्रियता दिखाई, जिससे BJP चुनाव जीत गई।

7. राज्य में किए गए विकास कार्यों को बीजेपी की प्रदेश और केंद्रीय लीडरशिप ने चुनावी सभाओं में जमकर भुनाया और इनका प्रचार इस तरह किया कि ये काम मतों में तब्दील हो सकें। यह भी उसके जीतने का एक बड़ा फैक्टर बना है।

8. यहां पर क्षेत्रीय पार्टियां अपना प्रभाव पैदा करने में असमर्थ रहीं। AAP ने पंजाब में तो जादू दिखाया लेकिन उत्तराखंड में कोई सीट नहीं ला पाई। यहां तक कि उनके सीएम कैंडिडेट चुनाव हार गए।

9. उत्तराखंड में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी हरीश रावत ने ली है। उन्होंने कहा कि, “हमारे प्रयासों में जो कमी रही उसको मैं स्वीकार करता हूं. कैंपेन कमेटी का चेयरमैन होने के तौर पर मैं हार की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.”

10. महिलाओं का बीजेपी के पक्ष में जाना बीजेपी के जीतने का एक बड़ा फैक्टर माना जा सकता है। यहां पर महिला वोटर्स ने चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लिया और पुरुषों की तुलना में 4.6 परसेंट ज्यादा वोटिंग की। राज्य की कुल वोटिंग 65.37 % में महिलाओं ने पुरुषों के मतदान 62.6% की तुलना में 67.2% वोट डाले।

 

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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