उत्तर प्रदेश | यूपी की राजधानी से करीब 80km दूर पड़ता है बाराबंकी का परसावल गाँव जहां जाने के लिए न सड़क है न कोई यातायात सुविधा।
परसावल में न बिजली की सुविधा है, न कोई स्कूल और न ही कोई स्वास्थ्य केंद्र.
अभी तक नहीं पहुंची मूलभूत सुविधाएं
गांव दोनों तरफ से घाघरा नदी से घिरा हुआ है। जब यहां पहुंच कर हमने निवासियों से बात की तो पता चला कि आज़ादी के 7 दशक बाद भी इस गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं।
मीडिया वेबसाइट क्विंट की टीम ने यहां पहुँच कर गांववालों से पूछा कि किस तरह से सुविधाओं के अभाव में ये लोग अपनी ज़िन्दगी बसर कर रहे हैं और आने वाले चुनावों में उन्हें उम्मीदवारों से क्या उम्मीद है।
एक ग्रामीण अर्जुन ने बताया – “यहा कोई सुविधा नहीं है. चुनावों के समय नेता कहते हैं कि सब बनवा देंगे लेकिन अब तक तो कुछ नहीं हुआ. किसी तरह बस मजबूरी में जी रहे हैं. अगर रात में कोई बात हो जाए तो जाने के लिए यहां कोई साधन भी नहीं मिलता.”
परसावल गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। यहां के लोगों को किसी भी तरह की बीमारी में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है।
राम मिलन कहते हैं – “स्कूल, अस्पताल कुछ नहीं है. अगर दवा पानी की जरूरत पड़ती है तो काफी दूर जाना पड़ता है।”
धनराजा, निवासी, परसावल – “हमारे बच्चे रायपुर में पढ़ने जाते हैं. जबकि गांव हमारा परसावल है ऐसे में कैसे पढ़ाया जाए? यहां किसी चीज़ की कोई व्यवस्था नहीं है।”
गांव की बुज़ुर्ग महिला नंदरानी बताती हैं कि “यहां कोई विधायक, कोई नेता नहीं आता। लोगों के लिए सुविधा नाम की कोई चीज़ नहीं है। बीमारी में मरने लगते हैं तो दूर दराज भागना पड़ता है।
आज़ादी के सात दशक बाद भी परसावल गांव के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई है। परसावल में स्कूल न होने के कारण यहां के बच्चों का भविष्य अधर में है।