नई दिल्ली | पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने रिहा करने का फरमान सुना दिया है। राजीव गांधी की हत्या के मामले में
पेरारिवलन समेत 7 लोगों को दोषी पाया गया था। टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई थी।
AG पेरारिवलनकौन है ?
तमिलनाडु के जोलारपेट कस्बे का रहने वाला है एजी पेरारिवलन की गिरफ्तारी राजीव गांधी हत्याकांड में 11 जून 1991 को हुई थी। जब वह पकड़ा गया था तब उसकी उम्र महज़ 19 साल की थी। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिप्लोमा करके वो आगे की पढाई करने चेन्नई आया। इसी दौरान राजीव गाँधी हत्याकाण्ड में शामिल लोगों में उसका नाम आया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर टेरोरिज्म एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट यानी टाडा लगा। जेल जाकर भी उसने अपनी पढाई बंद नहीं की। 12वीं की परीक्षा उसने जेल के अंदर रहते हुए ही पास की। इसके बाद उसने तमिल नाडु ओपन यूनिवर्सिटी से एक डिप्लोमा कोर्स किया जिसमे उसे गोल्ड मैडल मिला। फिर उसने IGNOU से BCA किया और फिर कंप्यूटर में ही मास्टर्स किया। जेल में अपने कैदी दोस्तों के साथ मिलकर वो एक बैंड भी चलाता था।
राजीव गांधी हत्याकांड में अहम रोल
1990 में राजीव गांधी की हत्या का प्लान बनाने वाला प्रभाकरन इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता था। लिहाजा उसने इस मिशन की कमान शिवरासन को दी थी, जो उसका विश्वासपात्र था। प्लान को पूरा करने के लिए 1991 में प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनु और शुभा को उसके साथ भारत भेज दिया था। धनु और शुभा को लेकर शिवरासन अप्रैल 1991 की शुरूआत में चेन्नई पहुंचा। वो धनु और शुभा को नलिनी के घर ले गया। जहां मुरूगन पहले से मौजूद था। शिवरासन ने बेहद शातिर तरीके से पायस- जयकुमारन-बम डिजायनर अरिवू को इनसे अलग रखा। वो खुद पोरूर के ठिकाने में रहता रहा। समय-समय पर सबको कार्रवाई के निर्देश देता था। उस वक्त चेन्नई के तीन ठिकानों पर राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश को पूरा करने का काम चल रहा था। हैरानी की बात ये थी कि शिवरासन के अलावा किसी को नहीं पता था कि टारगेट कौन है।
शिवरासन ने टारगेट का खुलासा किए बिना ही बम एक्सपर्ट अऱिवू से एक ऐसा बम बनाने को कहा जो किसी महिला की कमर में बांधा जा सके। शिवरासन के कहने पर अरिवू ने एक ऐसी बेल्ट डिजाइन की, जिसमें छह आरडीएक्स भरे ग्रेनेड लगाए जा सकें। उसके हर ग्रेनेड में 80 ग्राम C4 आरडीएक्स भरा था। हर ग्रेनेड में दो मिलीमीटर के दो हजार आठ सौ स्पिलिंटर थे। सभी ग्रेनेड सिल्वर तार की मदद से पैरलल जोड़े गए। जिसका सर्किट पूरा करने के लिए बेल्ट में दो स्विच लगाए गए थे। उनमें से एक स्विच बम को चार्ज करने के लिए और दूसरा उसमें धमाका करने के लिए था।
बम एक्सपर्ट अऱिवू ने महिला की कमर में बांधे जाने वाले उस बम को ट्रिगर करने के लिए 9 एमएम की बैटरी लगाई थी। साजिश के मास्टरमाइंड शिवरासन ने बैटरी का इंतजाम करने का काम एजी पेरारिवलन को सौंपा था। शिवरासन के आदेश को पूरा करते हुए एजी पेरारिवलन ने बाजार से 9 एमएम की बैटरी खरीदी और उसे खुद शिवरासन तक पहुंचाया था। उसी बैटरी का इस्तेमाल कर धनु ने 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमलाकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। सीबीआई की एसआईटी ने दावा किया था कि एजी पेरारिवलन इस मामले में लगातार मास्टरमाइंड शिवरासन के संपर्क में था।
पहले फांसी फिर उम्रकैद और अब रिहाई
देशभर की सुरक्षा एजेंसियां राजीव गाँधी की हत्या के बाद सख्त हो गयीं। संदिग्ध आरोपियों की धरपकड़ लगातार चालू हो गयी। इसी दौरान CBI की SIT को एक बड़ी कामयाबी मिली और 11 जून 1991 को एजी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया। राजीव गांधी हत्याकांड में बम धमाके के लिए इस्तेमाल की गई दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मास्टरमाइंड शिवरासन को देने का दोष एजी पेरारिवलन के खिलाफ अदालत में सिद्ध हो गया था। इस मामले पेरारिवलन समेत 7 लोग दोषी पाए गए थे, जिन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। लेकिन बाद में कुछ दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था ,जिसमें पेरारिवलन भी शामिल था। कई बार पेरारिवलन को लेकर सियासी उठा पटक हुई और अब तीन दशक से ज्यादा का वक्त जेल में बिताने के बाद उसे रिहाई मिली।