नई दिल्ली | एक ओर जहां भारत नेपाल को करोड़ों रुपये की मदद दे रहा है, वहीं दूसरी ओर नेपालियों ने सात हजार एकड़ से अधिक भारतीय भूमि पर कब्जा जमा लिया है। आठ किलोमीटर के दायरे में फैली हुई इस भूमि पर नेपालियों के अवैध कब्ज़े की पुष्टि विभागीय वन अधिकारी (DFO) ने की है।
नेपाल के नवलपरासी की पूर्वी छोर से सटे बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले की करीब 7100 एकड़ भूमि पर नेपालियों ने कब्जा जमा लिया है। जानकारी के बावजूद भारत सरकार मामले में कुछ करने से कतरा रही है। नेपाली कब्जे वाली भूमि को अपनी बताते है, लेकिन अभिलेखों में यह भारतीय भूमि के रूप में दर्ज है।
नेपाल के वाल्मीकिनगर में सुस्ता, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल और गोवर्धना में शिवालिक रेंज की पहाड़ियां समेत कई स्थानों पर नेपालियों ने अवैध कब्जा कर रखा है और धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ रहा है। अवैध कब्जे को नेपाल सरकार भी बढ़ावा दे रही है। वह इस भूमि के पट्टे काट रही है। साथ ही वहां रह रहे लोगों को नेपाली नागरिकता दी जा रही है। कई लोगों ने दोहरी नागरिकता ले रखी है। यहां भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं, लेकिन वे किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करते।
नेपाली नागरिक टाइगर रिजर्व के जंगल से करोड़ों रुपये के कीमती वृक्ष काट बेच चुके हैं। सबसे ऊंची चोटी सोमेश्वर स्थित नो मेन्स लैंड पर भी पांच साल पहले नेपालियों ने झंडा गाड़ दिया था। वहां नेपाली प्रहरी व एसएसबी दोनों की तैनाती है।
चंपारण के वीटीआर व कई ऐसे भूभाग हैं, जहां नोमेंस लैंड है ही नहीं। इन पर नेपालियों ने कब्जा कर लिया है। इस बाबत कलेक्टर डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे ने कहा कि यह नोमेंस लैंड है, लेकिन इस बारे में विस्तृत जानकारी रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ही दे सकते हैं।
डीएफओ गौरव ओझा का कहना है कि भारतीय भूमि पर नेपालियों ने कब्जा कर रखा है। कुछ लोगों ने दोहरी नागरिकता ले रखी है। वे जंगल से करोड़ों रुपये के पेड़ भी काट चुके हैं।