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CG:बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट रोकेगी टैक्स चोरी, आइआइटी की मदद से बन रहा साफ्टवेयर

रायपुर: राज्य जीएसटी विभाग आइआइटी भिलाई व अन्य निजी एजेंसियों की मदद से एक ऐसा साफ्टवेयर बना रहा है, जिससे बड़ी मात्रा में टैक्स चोरी पकड़ में आ सकती है। इस साफ्टेवयर की मदद अलग-अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में स्थापना से लेकर निर्माण व उत्पादन तक टैक्स की जानकारी फीड होगी, जो कि जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के बाद व्यवसायियों के रिटर्न से मिलान किया जाएगा।

रजिस्टर्ड डीलर्स के जीएसटी रिटर्न से मिलान करने पर टैक्स चोरी पकड़ में आएगी। यह साफ्टवेयर विभागीय होगा। इसमें रजिस्टर्ड डीलर्स की पूरी कुंडली होगी। आइआइटी की मदद से इस साफ्टवेयर में सभी तरह के करयुक्त व्यवसायों के उत्पादों में लगने वाले सभी तरह के टैक्स की जानकारी होगी।

जीएसटी रिटर्न में धोखाधड़ी करने वाले डीलर्स के रिटर्न का पूरा ब्यौरा इस साफ्टवेयर में डाला जाएगा। अलग-अलग चरणों में टैक्स में कहां गड़बड़ी की गई यह सब इस साफ्टवेयर की मदद से पकड़ा जा सकेगा।

राज्य जीएसटी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) से लेकर अन्य प्रकार के छूट लेने वाले डीलरों को भी इस साफ्टवेयर की मदद से पकड़ा जा सकेगा,वहीं फर्जी ई-वे बिल से लेकर बोगस बिल के मामलों में भी यह साफ्टवेयर कारगर सिद्ध होने की उम्मीद जताई जा रही है।

राज्य जीएसटी विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी राजस्व हानि रोकने के लिए इंटेलिजेंस साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग द्वारा एनजीडीआरएस साफ्टवेयर, खनिज विभाग की खनिज आनलाइन 2.0, जल संसाधन विभाग द्वारा राज्य जल सूचना केंद्र साथ ही वित्त विभाग द्वारा आइएफएमआइएस 2.0 बनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य बजट प्रस्तुत करने के दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट की घोषणा की थी, जिसके बाद राज्य जीएसटी ने साफ्टवेयर बनाने की कवायद शुरू की।

ईज आफ डूइंग बिजनेस भी

इस साफ्टवेयर की मदद से एक क्लिक पर डीलरों की जानकारी मिल पाएगी। राज्य जीएसटी के अधिकारियों के मुताबिक न सिर्फ निगरानी बल्कि डीलरों को रिफंड नहीं मिलने से लेकर समय-सीमा में कार्यों को पूरा करने को लेकर भी अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।

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