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कल 580 साल बाद लगेगा ऐसा अनूठा चंद्र ग्रहण, जानिए ग्रहण लगने का समय, राशियों पर इसका प्रभाव

नई दिल्ली:

इस साल सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. यह चंद्र ग्रहण शुक्रवार 19 नवंबर को लगेगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। पहली बात कि 580 वर्षों के बाद इस बार सबसे लंबा आंशिक चंद्रग्रहण लगेगा। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह चंद्रग्रहण करीब साढ़े तीन घंटे तक रहेगा।

एमपी बिड़ला तारामंडल में अनुसंधान और अकादमिक निदेशक देबीप्रसाद दुआरी ने बताया कि यह दुर्लभ घटनाक्रम अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों से दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि आंशिक चंद्रग्रहण दोपहर 12.48 बजे शुरू होगा और शाम 4.17 बजे समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षितिज के अत्यंत करीब अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ इलाकों में चंद्रोदय के ठीक बाद आंशिक ग्रहण अपने अंतिम क्षणों में दिखाई देगा। दुआरी ने कहा कि ग्रहण की अवधि तीन घंटे 28 मिनट 24 सेकंड होगी, जो 580 वर्षों में सबसे लंबा आंशिक चंद्रग्रहण होगा। उन्होंने कहा कि पिछली बार इतना लंबा आंशिक चंद्रग्रहण 18 फरवरी 1440 को हुआ था और अगली बार इसी तरह का घटनाक्रम वर्ष 2669 में आठ फरवरी को दिखेगा।

उन्होंने कहा कि ग्रहण उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से दिखाई देगा, लेकिन इन स्थानों से इसे कुछ समय के लिए ही देखा जा सकेगा। अधिकतम आंशिक ग्रहण अपराह्न 2.34 बजे दिखाई देगा जब चंद्रमा का 97 फीसदी हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढक जाएगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत क्षेत्र में दिखाई देगा। दुआरी ने कहा कि उपछाया ग्रहण पूर्वाह्न 11.32 बजे शुरू होगा और शाम 5.33 बजे समाप्त होगा। उपछाया ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपूर्ण रूप से एक सीध में होते हैं। दुआरी ने कहा कि आंशिक ग्रहण की तरह उपछाया ग्रहण शानदार और नाटकीय नहीं होता है तथा कभी-कभी उस पर ध्यान भी नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि पिछली बार चंद्रग्रहण 27 जुलाई, 2018 को पड़ा था और अगला चंद्रग्रहण 16 मई 2022 को होगा, लेकिन यह भारत से दिखाई नहीं देगा। भारत से दिखाई देने वाला अगला चंद्रग्रहण आठ नवंबर 2022 को होगा

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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