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बढ़ेगी यूपी की विद्युत आपूर्ति, जल्द शुरू होगी 660 मेगावाट की एक इकाई यूपी की विद्युत सप्लाई को सुधारने के योगी सरकार के प्रयासों को मिला फल

लखनऊ | प्रदेश में विद्युत उपलब्धता बढ़ाने के लिए योगी सरकार निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं को जल्द पूर्ण कर उत्पादन शुरू करने का प्रयास कर रही है। इसी प्रयास में सरकार ने प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की निर्माणाधीन ओबरा परियोजना के तहत 30 जून तक 660 मेगावाट की एक इकाई का उत्पादन शुरू करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश सरकार का मानना है कि सितंबर तक प्रदेश में विद्युत की जबरदस्त मांग रहेगी। ऐसी स्थिति में 660 मेगावाट की 1 यूनिट के उत्पादन से प्रदेश की विद्युत आपूर्ति को बड़ा लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि ओबरा ताप विद्युत गृह सोनभद्र जिले के ओबरा नामक स्थान पर है। वाराणसी से 125 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी शक्तिनगर मार्ग पर स्थित यह बिजली संयंत्र भारत की पहली 200 मेगावाट ईकाई होने का गौरव रखती है। यहां 13 इकाइयां है और सभी कोयले से चलती हैं। 200 मेगावाट की अंतिम इकाई 1982 में शुरू हुई थी। इसकी उत्पादन क्षमता 1288 मेगावाट है। यहां 333 मेगा वाट का जल विद्युत का प्लांट भी है जो ताप विद्युत गृह को चार्ज करने में मदद करता है। वर्तमान में 660 मेगावाट की दो नई इकाइयां निर्माणाधीन है। इसके प्रारंभ होने से 1320 मेगावाट विद्युत का उत्पादन प्रदेश को प्राप्त होगा जो एक बड़ी उपलब्धि होगी।

डेढ़ माह से रखी जा रही नजर
प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुदृढ़ करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने ओबरा परियोजना स्थल का दौरा किया और परियोजना के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने ओबरा तापीय परियोजना की निर्माणाधीन 28660 मेगावाट की दो इकाइयों के उत्पादन शुरू होने में हो रही देरी पर निर्माण कर रही कंपनी दुशान के अधिकारियों और परियोजना तथा उत्पादन निगम के अधिकारियों से चर्चा की। प्रातः 9:00 बजे से रात्रि 3:00 बजे तक अनवरत चली बैठक में एक-एक बिंदु पर चर्चा हुई और अंत में तय हुआ कि 30 जून को 660 मेगावाट की एक इकाई का उत्पादन शुरू हो जाएगा। पिछले लगभग डेढ़ महीने से अध्यक्ष वीडियों काफेन्सिंग के माध्मय से ओबरा परियोजना के निर्माण की निगरानी कर रहे है।

विद्युत दुर्घटनाएं रोकने व उपभोक्ता सेवा बेहतर बनाने को आउटसोर्स कर्मियों का होगा प्रशिक्षण

पावर कारपोरेशन अपने आउटसोर्स कर्मियों को प्रशिक्षण देगा जिससे बिजली उपकरणों एवं लाइनों आदि के अनुरक्षण कार्यों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अध्यक्ष एम देवराज ने कहा है कि कारपोरेशन में कार्यरत प्रत्येक कार्मिक का जीवन हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दुर्घटनाएं असावधानियों के कारण होती हैं। इसलिये लगातार एवं गहन प्रशिक्षण देने से दुर्घटनाएं रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही विद्युत सखियों को भी बिल जमा कराने तथा मीटर रीडिंग का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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