पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण होने वाले मोटापे का संबंध मस्तिष्क में इंसुलिन से जुड़े बदलाव से भी है। इसी कारण संबंधित व्यक्ति ज्यादा भूख महसूस करता है और दिनभर कुछ न कुछ खाता रहता है। ‘इंटरनेशनल जरनल ऑफ ओबेसिटी’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अक्सर माना जाता है कि जिन बच्चों के माता-पिता मोटे होते हैं, उनमें मोटापा बढ़ने के आसार ज्यादा होते हैं। मगर, ताजा अध्ययन में पाया गया है कि इसका संबंध मस्तिष्क में इंसुलिन के स्तर और न्यूरोट्रांसमीटर (तंत्रिका संचारक) के संचालन में परिवर्तन से भी है।
इस अध्ययन में शामिल टूर्कू विश्वविद्यालय में क्लिनिकल मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ तातु कैंटोनन ने कहा कि हालांकि अब तक यह पूरी तरह निर्धारित नहीं किया जा सका है कि क्या ये परिवर्तन व्यक्ति में मोटापा आने से पहले ही मस्तिष्क में दिखाई देते हैं या नहीं।
इस अध्ययन में पीईटी इमेजिंग के जरिए मस्तिष्क में इंसुलिन, ओपिओइड और कैनाबिनोइड क्रियाकलापों की निगरानी की गई। इसमें मोटापे के जोखिम वाले 41 युवकों को शामिल किया गया। अध्ययन के नतीजों से पता चला कि मोटापे की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले इन युवाओं में मस्तिष्क के एक हिस्से की धीमी कार्यप्रणाली के कारण इंसुलिन के स्तर में परिवर्तन होता है। मस्तिष्क में भूख को नियंत्रित करने वाले तंत्रिका तंत्र के संचालन में भी गड़बड़ी देखी गई।