नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व के मौके पर तीनों किसान कानून वापिस लेने की घोषणा कर दी है। भारत सरकार करीब एक साल पहले इन तीन किसान कानूनों को लेकर आई थी, जिसका देशभर के किसान विरोध कर रहे थे। खासतौर पर पंजाब के किसानों ने इन कानूनों को लेकर प्रमुखता से भारत सरकार के खिलाफ झंडा उठा रखा था। कृषि कानून वापिस लेने के साथ ही पीएम मोदी ने किसानों से वापिस उनके घर और खेतों में लौटने की अपील की है। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने उनकी ये बात मानने से इन्कार कर दिया है।
पीएम मोदी के इस एलान का टिकैत ने स्वागत तो किया है, लेकिन साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया है कि किसान अभी घर नहीं लौटने वाले हैं। उन्होंने कहा है कि ”एमएसपी पर कमेटी नहीं बल्कि इसपर गारंटी कानून बनाया जाए। हम अभी घर जाने वाले नहीं है, हम कागज लेकर ही वापस जाएंगे। इसके साथ ही मीटिंग के बाद आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।”
अब सवाल है कि आखिर न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी क्या होती है, जिसकी मांग पर राकेश टिकैत अड़ गए हैं। जैसा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के शाब्दिक अर्थ से पता चलता है- ये एक ऐसा न्यूनतम मूल्य है जिस पर किसानों से उनकी फसलें खरीदी जाती हैं। लेकिन एमएसपी तय करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसमें कई तकनीकी पेंच फंसे हैं।
क्या है MSP ?
किसी भी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करने के लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) तीन फॉर्मुलों का इस्तेमाल करता है। इन्हें A2, A2+FL और C2 कहते हैं। A2 के तहत फसल उगाने के दौरान किसानों द्वारा किए गए सभी तरह के नकद खर्चों, जैसे बीज, खाद, रसायन, ईंधन और सिंचाई आदि की लागत को जोड़ते हैं। वहीं, A2+FL में नकद खर्च के साथ किसान परिवार का अनुमानित मेहनताना भी जोड़ा जाता है।
जबकि C2 में बिजनेस मॉडल पर फसल की कीमत तय की जाती है, जिसमें कुल नकद खर्च और किसान के पारिवारिक पारिश्रमिक के अलावा खेत की जमीन का किराया और किसानी के काम में आने वाली पूरी पूंजी पर मिलने वाले ब्याज को भी लागत में शामिल किया जाता है।