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योगी के विकास और कनेक्टिविटी के मॉडल को मिल रहा केंद्र सरकार का पूर्ण समर्थन यूपी में 16 गुना तेजी से होगा रेल कनेक्टिविटी का विकास

लखनऊ | उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिस तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ रही है, उसमें उसे केंद्र सरकार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। डबल इंजन की सरकार ने उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी को बेहतर करने में जुटी है और इसी प्रयास के तहत इस बार रेल बजट में उत्तर प्रदेश को 2009-14 की तुलना में 16 गुना ज्यादा बजट दिया गया है। 2009-14 के बीच जहां यूपी के हिस्से रेल बजट में सिर्फ 1,109 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी मिली थी तो वहीं मोदी सरकार ने अकेले 2022-23 में उत्तर प्रदेश को 16 गुना ज्यादा यानी 17,507 करोड़ रुपए का बजट दिया है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इस बार रेलवे के लिए सबसे ज्यादा 2.4 लाख करोड़ रुपए के बजट का ऐलान किया है। रेलवे मिनिस्ट्री के अनुसार यह बजट 2013-14 के बजट का 9 गुना ज्यादा है।

नई लाइन के माध्यम से कई राज्यों से जुड़ेगा यूपी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। प्रदेश में अभी 7143 किमी लंबी नई लाइन पर 83 प्रोजेक्ट्स के तहत कार्य चल रहा है जिस पर करीब 94 हजार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। वहीं, 3831 किमी. लंबी रेलवे लाइन के लिए 55 सर्वे किए जाने हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश से अन्य राज्यों को जोड़ने के लिए नई लाइन से जुड़े जो प्रोजेक्ट हैं, उनमें एक ललितपुर-सतना, रीवा-सिंगरौली और महोबा-खजुराहो है जिस पर 700 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसी तरह बहराइच-श्रावस्ती और बलरामपुर-तुलसीपुर लाइन पर 390 करोड़ का खर्च आएगा। 2023-24 में एनर्जी कॉरिडोर के लिए नई लाइन हेतु 284 करोड़, जनजातीय गौरव कॉरिडोर (अंब्रेला 23-24) हेतु 284 करोड़, सहजनवा-दोहरीघाट के लिए 205 करोड़, देवबंद (मुजफ्फरनगर)-रुड़की के लिए 200 करोड़, मऊ-गाजीपुर-तारीघाट के लिए 150 करोड़, अंब्रेला प्रोजेक्ट के लिए 20 करोड़, आनंदनगर-घुगली के लिए 20 करोड़, पडरौना-कुशीनगर वाया गोरखपुर के लिए 10 करोड़ और मेरठ-पानीपत के लिए 30 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं।

कई स्टेशंस के बीच होंगे गेज कन्वर्जेंस
गेज कन्वर्जेंस को लेकर भी प्रदेश में काफी काम हो रहा है। इसके माध्यम से छोटी लाइन्स को बड़ी लाइन में परिवर्तित कर दिया गया है। इनमें मथुरा-वृंदावन के बीच लाइन पर 100 करोड़, लखनऊ-पीलीभीत वाया सीतापुर, लखीमपुर पर 100 करोड़, बहराइच-मैलानी बाइपास पर 50 करोड़, इंदारा-दोहरीघाट 35 करोड़, पीलीभीत-शाहजहांपुर 3 करोड़ और कानपुर-कासगंज-मथुरा की लाइन पर 50 लाख रुपए का खर्च किया जाएगा।

यूपी की कनेक्टिविटी में हुआ है बड़ा बदलाव
प्रदेश ने बीते कुछ समय में तेजी से कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बड़ा काम किया है। 2017 के पहले प्रदेश में 2 एयरपोर्ट थे, आज 9 एयरपोर्ट क्रियाशील हो चुके हैं और 10 पर काम जारी है। वहीं बेहतर कनेक्टिविटी के लिए पूर्वी यूपी में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे है तो बुंदेलखंड में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे है। पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए गंगा एक्सप्रेसवे बन रहा है। राष्ट्रीय राजधानी से यूपी को जोड़ने के लिए यमुना और आगरा एक्सप्रेसवे है। यूपी की सीमा से जुड़े राज्यों और नेपाल से 4 लेन रोड की कनेक्टिविटी है तो प्रदेश के सारे जिले लखनऊ से 4 लेन सड़क से जुड़े हुए हैं। 5 शहरों में मेट्रो है तो हाल ही में रैपिड रेल का ट्रायल भी हुआ है। यूपी में लैंडलॉक प्रदेश की समस्या भी खत्म हो गई है। यहां देश का पहला वॉटर-वे वाराणसी से हल्दिया तक शुरू हो चुका है।

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