उत्तर प्रदेश | UP चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। अखिलेश यादव बहुमत के आंकड़े से दूर रह गए। योगी आदित्यनाथ ने बंपर वोटों के साथ वापसी की। मायावती और कांग्रेस हाशिए पर चली गईं, लेकिन छोटे दलों ने खेल बनाने और बिगाड़ने का काम किया।
सपा के साथ 7 छोटे दल तो भाजपा के साथ सिर्फ 2
सपा के साथ जयंत चौधरी की RLD, ओपी राजभर की सुहेलदेव, अपना दल (कामेरावादी), एनसीपी, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, जनवादी पार्टी (समाजवादी) थी। वहीं बीजेपी के साथ निषाद पार्टी और अपना दल (एस). इनके अलावा ओवैसी की एमआईएम, आप और चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी मैदान में थी।
यूपी चुनाव में भाजपा और सपा के अलावा बसपा को 1 और कांग्रेस को 2 सीट मिली। अपना दल (सोनेलाल) को 12, राजा भैया की जनसत्ता दल लोकतांत्रित को 2, निषाद पार्टी को 6 और सुहेलदेव पार्टी को 6 सीट मिली।
बढ़ गया जयंत चौधरी की पार्टी का वोट शेयर
जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी ने यूपी चुनाव में 33 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से सिर्फ 8 सीट जीत सके। 20 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। बात करें वोट शेयर की तो आरएलडी को 2.89% वोट मिले। साल 2017 में 1.8%, 2012 में 2.3%, 2007 में 3.7% और 2002 में 2.5% वोट मिले थे।
आरएलडी के पास साल 2017 में 1, 2012 में 9 विधायक थे, ऐसे में अबकी बार जयंत चौधरी फायदे में हैं। 10 साल बाद उनके पास फिर से 8 सीट हैं।
ओपी राजभर ने सीट नहीं बयान दिए
ओपी राजभर की सुहेलदेव पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा। 6 सीटों पर जीत मिली। 2017 में बीजेपी ने ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल के साथ मिलकर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार ओम प्रकाश राजभर चुनाव से काफी पहले ही बीजेपी छोड़ एसपी के साथ हो लिए।
सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने दावा किया था कि उनका पूर्वी यूपी की करीब 100 सीटों पर प्रभाव है। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में करीब 3% राजभर आबादी है मगर लगभग दो दर्जन सीटों पर ये संख्या 15-20% है, इनमें वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़, देवरिया, बलिया और मऊ जैसे जिले शामिल हैं। मगर चुनावी नतीजे नतीजे बताते हैं कि ओपी राजभर अपने समाज के वोटर को पूरी तरह से समझा नहीं पाए।
भाजपा के सहयोगी कम मगर प्रदर्शन अच्छा
बीजेपी की सहयोगी अपना दल (S) ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें 12 सीटों पर जीत मिली। 2017 में अपना दल (S) को 0.98 प्रतिशत वोट मिले थे। 9 सीटें जीती थी। इस बार बीजेपी के साथ निषाद पार्टी भी थे, जिसे 2017 में 0.6 प्रतिशत वोट मिले थे और इन्होंने एक सीट जीती थी। अबकी बार 6 सीटों पर जीत मिली।
यूपी चुनाव में कई छोटे दलों का साथ लेने पर अखिलेश को काफी तारीफ मिली। छोटे दलों का ये गुलदस्ता बनाने पर लोगों ने उनकी तुलना उनके पिता मुलायम सिंह यादव से की। मगर नतीजों से साफ़ कर कर दिया कि अखिलेश के गुलदस्ते में मौजूद दलों की भीड़ ज़्यादा थी। दूसरी तरफ सिर्फ दो दलों का साथ लेने वाली भारतीय जनता पार्टी की जीत का स्ट्राइक रेट ज़्यादा बेहतर रहा।