नई दिल्ली | लॉ कमीशन ने आईपीसी की धारा 124A बनाए रखने की सिफारिश की है. राजद्रोह से जुड़े इस कानून के दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इसे निष्प्रभावी बना दिया था. अब केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में लॉ कमीशन ने कहा है कि भारत की जमीनी हकीकत को देखते हुए धारा 124A को खत्म नहीं किया जाना चाहिए. इसके साथ ही कमीशन ने कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए कुछ उपाय अपनाए जाने की सिफारिश की है.
लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में राजद्रोह क़ानून (IPC 124A) को बनाए रखने की सिफारिश की है।आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी तत्वों से निपटने के लिए क़ानून की ज़रूरत है।
हालांकि क़ानून में और ज़्यादा स्पष्टता लाने के लिए आयोग ने कुछ सुझाव भी दिए गये है। कमीशन ने कहा है कि न्यूनतम सज़ा 3 साल की जगह 7 साल होनी चाहिए। कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस की जरूरत है।
इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की शुरुआती जांच और जांच रिपोर्ट को सरकार की मंजूरी के बाद ही FIR दर्ज होनी चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में इस कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि राजद्रोह कानून के तहत कोई भी मामला फिलहाल दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। वहीं केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई टालने का आग्रह यह कहते हुए किया था कि सरकार ने लॉ कमिशन से इस मामले में सुझाव मांगे हैं।