नई दिल्ली | आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों में इतिहास रच दिया है। दिल्ली के बाहर कदम बढ़ाकर अरविन्द केजरीवाल के पोलिटिकल स्टार्टअप ने राज्य में सत्ता पर कब्जा कर लिया है। राज्य की रवायिती पार्टियों कांग्रेस और अकाली दल को धूल चटाकर पार्टी ने सत्ता पर कब्जा किया।
AAP को कुल 92 सीटे मिली।
पार्टी ने मुख्यमंत्री चन्नी के विधानसभा क्षेत्र वाले जिले रूपनगर की तीनों सीटों को जीत लिया। कांग्रेस की रूपनगर में प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। पार्टी के तीन बड़े चेहरे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब से, विधानसभा स्पीकर राणा कंवरपाल सिंह आनंदपुर से और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बरिंदर ढिल्लों रूपनगर से चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी ने बरिंदर के पक्ष में रैली भी की थी। इस सब के बावजूद कांग्रेस के तीनों उम्मीदवार हार गए।
सीटों की स्थिति
चमकौर साहिब
जीते- चरणजीत सिंह (AAP) – 70,248 वोट
दूसरे- चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस) – 62,306 वोट
तीसरे- हरमोहन सिंह (BSP) – 3,802 वोट
चौथे- दर्शन सिंह शिवजोत (BJP) – 2,514 वोट
रूपनगर सीट
जीते- दिनेश चड्डा – 59,903 वोट
दूसरे- बरिंदर ढिल्लों – 36,271 वोट
तीसरे- दलजीत सिंह चीमा – 22,338 वोट
चौथे- इकबाल सिंह ललपुरा – 10,067 वोट
आनंदपुर साहिब
जीते- हरजोत बैंस (AAP) – 82,132 वोट
दूसरे- कंवरपाल सिंह (कांग्रेस) – 36,352 वोट
तीसरे- परविंदर शर्मा (BJP) – 11,433 वोट
चौथे- नूतन कुमार (BSP) – 5,898 वोट
रूपनगर जिले में AAP, कांग्रेस और अकाली-BSP में टक्कर की चर्चा थी, लेकिन मुकाबला AAP और कांग्रेस में ही था।
कांग्रेस और अकाली दल की हार के कारण?
रूपनगर में सतलुज नदी गुजरती है और माइनिंग का मुद्दा इलेक्शन में मुख्य रूप से उठता रहा है।
जिले की सबसे चर्चित सीट रही चमकौर साहिब, जहां से मुख्यमंत्री चरनजीत चन्नी, AAP के डॉक्टर चरणजीत सिंह के खिलाफ थे। चन्नी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने क्षेत्र में खुलकर पंचायतों को पैसा बांटा था। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। सरकार के साढ़े चार साल निकल चुके थे। युवाओं ने खासकर कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वोट देने का मन बना लिया था।
पिछले तीन बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे चन्नी को बदलकर, इस बार जनता ने AAP के साथ जाने का फैसला किया।
पिछले 15 साल से चन्नी चमकौर साहिब में सतलुज के ऊपर पुल बनवाने का वादा करते रहे है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इसके लिए फंड भी जारी किया, लेकिन उसपर काम शुरू नहीं हो पाया, जिससे लोगों में नाराजगी थी।
रेत माफिया को शरण देने के आरोप लगते रहने की वजह से चन्नी की छवि को काफी नुक्सान पहुंचा। चन्नी के मुकाबले डॉक्टर चरणजीत साफ छवि के व्यक्ति थे. वहीं, बात करें अकाली दल की तो चमकौर सीट अकाली दल ने BSP को दी थी। अकाली दल छोड़ हरमोहन संधू ने BSP ज्वाइन की थी। संधू के माता-पिता चमकौर से 7 बार विधायक रहे थे और उनके कार्यकाल में इलाके में विकास नहीं हुआ। इसलिए वो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।
AAP के दिनेश चड्डा रूपनगर से आरटीआई एक्टिविस्ट हैं और उन्होंने रेत माफिया के खिलाफ जिले में काम किया था। कांग्रेस नेताओं पर रेत माफिया के साथ सांठगांठ होने की चर्चा इलाके में चलती रही है। वहीं, कांग्रेस के बरिंदर ढिल्लों और कुंवरपाल सिंहगुटबाजी के कारण एक दूसरे को हराने में लगे रहे। अकाली दल के सीनियर नेता दलजीत चीमा इस बार भी रूपनगर सीट से तीसरे स्थान पर रहे।