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फिजियोथैरेपी से मिलेगी स्पाइन व अन्य शारीरिक समस्याओं व दर्द से निजात

उत्तर प्रदेश | डॉ. अमित मिश्रा ने वर्ल्ड विजियोथेरेपी डे (8 सितम्बर) के अवसर पर शुभकामनायें देते हुये बताया कि आज के समय की बदली दुनिया जिसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग हर क्षेत्र में बढ़ गया है जिससे स्पाइन से जुड़ी समस्यायें जैसे गर्दन में दर्द, सर में दर्द, चक्कर आना, गर्दन से हाथों तक दर्द आना, मोटापे व खराब सड़को व गलत जीवन शैली के चलते कमर में दर्द, स्लिपडिस्क, कमर से नीचे पैरों तक दर्द आना, झनझनाहट व सुन्नपन आना, इन सभी शारीरिक समस्याओं में फिजियोथेरेपी चिकित्सा व जीवन शैली में कुछ बदलाव करके निजात पाई जा सकती है।

क्या है स्पाइन समस्याओं के मुख्य कारण:- आज कल की बदलती डिजिटल जीवन शैली में जैसे मोबाइल का गलत तरीके से अत्यधिक उपयोग कराना, कम्प्यूटर व किसी भी स्किन पर गलत तरीके से लम्बे समय तक काम करना, तनावग्रस्त रहना, अनियंत्रित डायबीटीज होना, गर्दन में गलत तरह से झटका लग जाना ये सभी गर्दन दर्द के मुख्य कारण है व कमर दर्द के मुख्य कारण खराब सड़के, मोटापा लम्बे समय तक गलत तरीके से बैठना, कमर पर अनियंत्रित झटका या चोट लग जाना व अन्य है पिछले लम्बे समय से कोविड वायरस संक्रमण के चलते करोना काल में घर पर ही मोबाइल व लैपटॉप पर आफिस कार्य, घर पर ऑनलाइन क्लास के कारण भी गर्दन दर्द, कमर दर्द की समस्यायें बढ़ी है। मोबाइल को गलत तरीके से गर्दन झुका कर अत्यधिक इस्तेमाल करने से व बिस्तर पर मोबाइल व लैपटॉप गलत तरह से उपयोग करने से सरवाईकल स्पाइन की समस्यायें बढ़ती जा रही है। जिससे कि हेडक, चक्कर आना, गर्दन में दर्द, हाथों में दर्द व सुन्नपन आना जैसी समस्यायें सामने आती है।

फिजियोथेरेपी से मिलेगा इन समस्याओं से भी छुटकारा:- घुटनों में दर्द (आर्थराइटिस), कंधे का जाम होना या दर्द (फ्रोजेन शेल्डर), स्पोटर््स इन्जरी, पैरालिसिस (न्यूरो) के बाद आई शारिरिक कमजोरी को दूर करने में भी फिजियोथेरेपी चिकित्सा का महत्वपूर्ण योगदान है।

बचाव एवं सावधानियां:- हमे मोबाइल इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतनी चाहिए मोबाइल इस्तेमाल करते समय मोबाइल को जितना हो सके आँखों के सामने ऊपर लाकर इस्तेमाल करना चाहिए बिस्तर पर लैपटॉप या मोबाइल पर लम्बे समय तक आफिस वर्क या ऑन लाइन क्लास नही करनी चाहिए आफिस में लेपटॉप या कम्प्यूटर पर लम्बे समय तक काम करने की स्थिति पर में आफिस की कुर्सी में सीधा बैठकर स्क्रीन को सामने ऊँचा रखकर करे व बीच बीच में 2-3 घंटे के अंतराल में कुर्सी से उठकर अपने स्पाइनल को सीधा व स्ट्रेच करें।
नियमित व्यायाम बच्चों को खेलकूद के प्रति प्रेरित करना चाहिए जिससे कि व मोबाइल तक ही सीमित न रहे ,महिलाओं को अधिक ऊँची हील वाली सैण्डल अकसर पहनने से बचना चाहिए, खान-पान में सुधार जरूरी है जिससे कि शरीर में कैल्शियम विटामिन-डी-3 (सुबह की धूप लेना) विटामिन सी, विटामिन बी 12 व अन्य पोशक तत्वों की मात्रा पर्याप्त रूप से उपलब्ध रहे नियमित खेलकूद व व्यायाम में शारीरिक व मानसिक दोनों का ही विकास अच्छे से होता है।

क्या है फिजियोथैरेपी चिकित्सा की आधुनिक तकनीकें:-
स्पाइनल मोबालाइजेशन एवं मैनुपुलेशन तकनीक से मरीज के स्पाइन में आए मैकेनिकल बदलाव को सही किया जा सकता है व मुलिगन, मेडलेण्ड, आस्टियोपैथी कायरोपैक्टर तकनीक द्वारा भी दूर किया जाता है। टेपिंग, कपिंग थैरेपी, ड्राई नीडलिंग, मैनुअल और मैकेनिकल पेल्विक ट्रैक्शन, एम एफ आर व क्रेनियो सैक्रल मोबाइलजेशन आदि आज के समय में अत्यधिक कारगर तकनीक है।
इलेक्ट्रोथेरेपी में लेजर, शॉक वेव, लॉन्ग वेब डायथर्मी, शॉर्टवेव डायथर्मी, टेन्स, आई. एफ. टी. व अल्ट्रासोनिक थैरेपी अत्यधिक कार्यगर है। गर्दन या कमर पर नसों के अत्यधिक दबाओं की स्थिति में स्पाइन सर्जन से परामर्श कर लेना चाहिए।

डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि हमारे फिजियोथेरेपी क्लीनिक टच एण्ड क्योर में सभी अत्याधुनिक मशीनें व कुशल फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा इन सभी समस्याओं का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है।

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