उत्तराखंड | बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की खूबसूरती उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल ने बढ़ा दी है। नेशनल हाईवे के आस-पास आए दिन पक्षी घूमते हुए नजर आ रहे हैं जो पर्यटकों को खूब भा रहा है। वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड राज्य बना तब मोनाल को उत्तराखंड का राज्य पक्षी घोषित किया गया था।
बता दें कि हिमालयी मोनाल को नेपाल और उत्तराखंड में डांफे के नाम से भी जानते हैं। इस पक्षी को पश्चिमोत्तर हिमालय में मुनाल, घुर मुनाल, रतिया कावां, रतनल, रतकप, कश्मीर में सुनाल भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में नीलगुरु या मुनाल (नर नील तथा मादा करेरी), उत्तर प्रदेश में दतिया, मिश्मी भाषा में पिया पदिर या दाफे, लेपचा भाषा में फो दौंग, नेपाल में डंगन, भूटान में बुप तथा सिक्किम में चामदौंग के नामों से जाना जाता है।
बताते चलें, मोनाल पक्षी 6000 से 14000 फीट तक की ऊंचाइयों में अपना बसेरा बनाता है। इस खूबसूरत पक्षी का आकार 24 से 29 इंच तक होता है। मोनाल अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग खाद्यों को अपना आहार बनाता है। जैसे पतझड़ में कीड़े और झिल्लियां, अन्य समयों में घास की कोंपलें, पत्तियां, जडें, बीज, छोटे फल, बैरी इत्यादि।
मोनाल को उत्तराखंड राज्य गठन के बाद वर्ष 2000 में राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया था। वर्ष 2008 के बाद से राज्य पक्षी की गणना तक नहीं की गई है, जो एक चिंतनीय विषय है। पक्षी प्रेमी अजय रतूड़ी का कहना है कि मोनाल एक खूबसूरत पक्षी है और बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर इसकी खूबसूरती दिखाई देती है।
वन्य जीव संरक्षण बोर्ड द्वारा पहली बार 2008 में इसकी गणना कराई गई थी। उस समय राज्यभर में 919 मोनाल थे। बताया जाता है कि एक समय में इसकी संख्या इतनी ज्यादा हुआ करती थी कि यह सहज ही देखा जा सकता था। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के वन क्षेत्र अधिकारी चेतना कांडपाल ने बताया कि बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर मोनाल पक्षी देखे गए हैं जो इनके इस क्षेत्र में मौजूद होने के शुभ संकेत हैं। गौरतलब है कि, इसके साथ ही राज्य वृक्ष बुरांश भी उत्तराखंड की शोभा वसंत ऋतु के आगमन के दौरान बढ़ाता है।