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Lucknow : आयुष विभाग में दवा ढुलाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला, अधिकारीयों के गोल मोल जवाब आयुष मिशन और दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी की साठगांठ से माल ढुलाई का हर साल करीब एक करोड़ 96 लाख रुपया डकारा जा रहा है। यह रकम संबंधित अस्पतालों के प्रभारी चिकित्साधिकारी अपनी जेब में भर रहे हैं ।

लखनऊ । प्रदेश में आयुष विभाग में अस्पताल तक दवा पहुंचाने के नाम पर करोड़ों का खेल चल रहा है। आयुष मिशन और दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी की मिलीभगत से माल ढुलाई की हर साल करीब एक करोड़ 96 लाख रूपये की चपत लगा रहे हैं ।

प्रदेश के सभी आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक अस्पतालों में आयुष मिशन के जरिए दवाएं भेजी जाती हैं। प्रदेश में आयुर्वेदिक यूनानी के 2346 और होम्योपैथिक की 1585 डिस्पेंसरी व अस्पताल हैं। होम्योपैथिक में करीब 45 करोड़ और आयुर्वेद में करीब 65 करोड़ की हर साल दवा खरीदी जाती है। नियमानुसार दवा की आपूर्ति संबंधित अस्पताल तक होनी चाहिए, लेकिन यह दवा जिला मुख्यालय पर रखवा दी जाती है।

फिर चिकित्साधिकारियों पर दवा ले जाने का दबाव बनाया जाता है। मजबूरी में चिकित्साधिकारी अपनी जेब से खर्च कर दवा अस्पताल तक ले जाते हैं। आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक अस्पतालों की संख्या मिलाकर 3931 हुआ। यदि हर अस्पताल पर दवा ले जाने का खर्च पांच हजार माना जाए तो हर साल करीब एक करोड़ 96 लाख 55 हजार रुपया खर्च होता है। पिछले चार साल से मिशन दवा आपूर्ति कर रहा है। ऐसे में चार साल में सात करोड़ 86 लाख 20 हजार रुपये का वारा न्यारा हो चुका है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि डिस्पेंसरी तक दवा पहुंचाने के बजाय जिला मुख्यालय पर दवाएं भेजकर मिशन के अधिकारी और दवा कंपनी इस रुपये की बचत करती हैं। ऐसे में इस रकम की बंदरबांट होने की आशंका है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
दवा खरीदते समय यह व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए कि दवा डिस्पेंसरी तक पहुंचे। मामला संज्ञान में आया है। इसे देखा जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया की जांच कराई जाएगी। यह देखा जाएगा कि कंपनी से खरीद संबंधी प्रपत्र पर दवा कहां तक पहुंचाने की बात हुई है। किसी तरह का खेल होगा तो जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– डा. दयाशंकर मिश्र दयालु, एफएसडीए एवं आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

मामला संज्ञान में आया है। पहले किस स्तर पर चूक हुई। यह देखा जा रहा है। डिस्पेंसरी तक दवा पहुंचाने की पुख्ता व्यवस्था बनाई जाएगी। यह भी देखा जा रहा है कि पूर्व के वर्षों में कंपनी ने अस्पतालों तक दवा क्यों नहीं पहुंचाया?
– महेंद्र वर्मा, निदेशक आयुष मिशन

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