लखनऊ | यूपी की राजधानी लखनऊ में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे 22 साल के दलित युवक आशीष ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली।
अपने पीछे छोड़े सुसाइड नोट में आशीष ने लिखा – ‘नंदू विश्वकर्मा, अरविंद, श्याम किशोर ने साजिश रचकर हम दोनों भाई- आशीष कुमार, मनीष उर्फ मयंक पर अपने मजदूरों के जरिये झूठा केस दर्ज कराया है। रहीमाबाद थाने के दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने मिलकर झूठी एफआईआर दर्ज की। हमने इनसे कहा कि हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनको चेक कर लो। धोखे से हम भाइयों को थाने पर बुलाकर सादे कागज व आधार कार्ड पर दस्तखत करा लिए…। मैं खुदकुशी करने जा रहा हूं। रहीमाबाद थाना पूरा भ्रष्ट है…।
पूरा मामला कुछ इस तरह से है कि आशीष कुमार सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था। आशीष पर मारपीट के केस में दबाव बनाने के लिए फर्जी केस लिखा गया था। रहीमाबाद थाने की पुलिस ने फर्जी केस दर्ज किया था। FIR लगाने के नाम पर 50 हजार की रिश्वत मांगी थी। रिश्वत नहीं देने पर पुलिस वालों ने चार्जशीट लगा दी थी। चार्जशीट से नौकरी मिलने में दिक्कत से आशीष परेशान था। इसी घटना से आहत होकर आशीष ने फांसी लगाकर जान दे दी। घटनास्थल से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था और उस सुसाइड नोट में आशीष पुलिस वालों के नाम लिख गया। आशीष ने सुसाइड नोट में लिखा कि रहीमाबाद थाना भ्रष्ट है।