जैंत गढ़।।जैंत गढ़ आस पास क्षेत्र की पहचान अवेध शराब से है।किसी गांव में प्रवेश कीजिए देसी दारू की तीक्ष्ण गंध आपका स्वागत करती है।गांव के प्रवेश द्वार पर ही दारू के भट्ठे होते है।दर्जन भर से अधिक गावों में ये कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका है।अब तो हर सार्वजनिक स्थल में धड़ल्ले से अवेध देसी दारू बेची जा रही है।जैंत गढ़ पुलिस आउट पोस्ट से महज सौ मीटर की दूरी पर हड़िया और दारू के गोदाम है। बस पड़ाव पर भरी मात्रा में दारू का कारोबार हो रहा है।जैंत गढ़ साप्ताहिक हाट परिसर में रोज दारू की महफिल सजती है।कोल्हान डाक बंगला के मुख्य द्वार पर दारू की दिन रात महफिल सजी रहती है।हद तो ये है जैंत गढ़ कब्रिस्तान की चाहर दिवारी से लगे एक घर में देसी शराब धड़ल्ले से बेची जाती है।। ये सबकुछ धड़ल्ले से हो रहा है और प्रशाशन मौन है।एक दारू निर्माता ने नाम नही छापनी की शर्त पर कहा सब सेटिंग में चलता है।छापा मारी की पहले ही सूचना मिल जाती है।हम माल और भट्ठे हटा लेते है।भारी पैमाने पर धड़ल्ले से चलता व्यापार और पुलिस आउट पोस्ट से चंद मीटर की दूरी पर स्थित हड़िया दारू का गोदाम पुलिस प्रशासन की सक्रियता पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
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