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HR:काग़ज़ नहीं-ज़मीन पर उतरे–एमडी

हरियाणा पावर जनरेशन निगम लिमिटेड (एचपीजीसीएल) के नव नियुक्त प्रबंध निदेशक साकेत कुमार ने कार्यभार संभालने के महज 11 दिन के भीतर ही सोमवार को पानीपत थर्मल पावर स्टेशन का स्थलीय निरीक्षण कर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल बैठकों और फाइलों तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत को परखने वाले सक्रिय और परिणामोन्मुखी अधिकारी हैं।

उन्होंने एक-एक यूनिट, एक-एक प्रणाली को स्वयं जाकर देखा, परखा और अधिकारियों से सीधे संवाद कर समस्याओं और संभावनाओं की थाह ली। इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने यह भी स्पष्ट संकेत दिया कि पानीपत थर्मल में यूनिट संख्या 9 व 10 की स्थापना की योजना अब केवल कागज़ों तक सीमित नहीं, बल्कि धरातल पर उतारने की दिशा में बढ़ रही है। उनका यह दौरा थर्मल पावर स्टेशन के लिए ऊर्जा, अनुशासन और बदलाव की एक नई लहर लेकर आया है।
एमडी साकेत कुमार थर्मल स्टेशन के फील्ड हास्टल पहुंचे, जहां मुख्य अभियंता सूरजभान व अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

इसके बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ विस्तार से प्रदर्शन की समीक्षा, वित्तीय विवरण और तकनीकी प्रणाली पर चर्चा की। उन्होंने संतुलित बजट, उत्पादन आंकड़े, और आवश्यक सुधारों को लेकर दिशा-निर्देश भी दिए। बैठक के बाद उन्होंने फील्ड हास्टल परिसर में पौधा रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। यह प्रतीकात्मक कार्य उनकी ज़मीनी सोच और जागरूकता को दर्शाता है। इसके बाद वे यूनिट संख्या 7 (250 मेगावाट क्षमता) के नियंत्रण कक्ष पहुंचे, जहां अधीक्षण अभियंता एस.के. बजाज से उन्होंने विद्युत उत्पादन की तकनीकी जानकारी प्राप्त की। वे यूनिट नम्बर 6 (210 मेगावाट) पहुंचे और वहां की कार्यप्रणाली को गहराई से समझा। यूनिट संख्या 9 और 10 की साइट पर पहुंचे, जहां उन्होंने वहां पूर्व में लगी 1 से 4 नंबर इकाइयों के स्थान का अवलोकन किया और प्रस्तावित योजना का नक्शा देखा। उन्होंने अधिकारियों से नए निर्माण की प्रक्रिया पर चर्चा की। वे कोयला प्रबंधन संयंत्र (कोल हैंडलिंग प्लांट) पहुंचे, जहां उन्होंने लगभग आधे घंटे तक रुककर कोयले की आपूर्ति, कोयला उतारने की प्रक्रिया और टिपर प्रणाली का प्रत्यक्ष अवलोकन किया।उन्होंने यूनिट 7-8 की साइलो प्रणाली का निरीक्षण किया और वहां पर कोयले के भंडारण व प्रवाह को समझा। वह रॉ वाटर पंप पर पहुंचे, जहां उन्होंने पोंड से मिट्टी हटाने (डी-सिल्टिंग) का कार्य होते देखा।
इसके बाद वह राख झील पहुंचे और राख उठाने की प्रणाली का अवलोकन किया।
फील्ड हास्टल में में एमडी साकेत कुमार ने प्रदेश की विद्युत आवश्यकताओं, थर्मल पावर स्टेशन की चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर अपने विचार साझा किए। उनकी सक्रियता, सरलता और ज़मीनी दृष्टिकोण यह संकेत देता है कि आने वाले समय में हरियाणा की बिजली उत्पादन व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ व कुशल बनेगी।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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