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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस में मुस्मिल पक्ष को झटका, याचिका ख़ारिज वाराणसी ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अधिकार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की तरफ से दाखिल पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दिया है।

प्रयागराज | वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद-आदि विश्वेश्वर मंदिर विवाद आज नया मोड़ आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर आज ज्ञानवापी मस्जिद के लिए मुस्लिम पक्ष के द्वारा दायर की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया है। मजिस्ट्रेट ने दोपहर में लंच के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच फैसला सुना दिया है। इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद का केस लड़ रही अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी। इस याचिका में वाराणसी के जिला जज की अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसी पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित किया था। मगर आज हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है।

शृंगार गौरी केस में राखी सिंह और 9 अन्य हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ताओं ने वाराणसी में जिला जज की अदालत में वाद दाखिल किया था। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस पर आपत्ति जताई थी। जिसे जिला जज के कोर्ट ने रद्द कर दिया था। जिसके बाद मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। मस्जिद कमेटी ने पिछले साल 12 सितंबर को जिला जज के कोर्ट से हुए फैसले को रद्द करने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट से की है। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और 1995 के सेंट्रल वक्फ एक्ट के तहत हिंदू पक्ष का वाद सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का मसला सुलझाने के लिए वाराणसी के जिला जज को केस सुनने का जिम्मा दिया है। इससे पहले केस सिविल जज सीनियर डिविजन के यहां चल रहा था। सिविल जज सीनियर डिविजन ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का कमिश्नर सर्वे कराया था। जिसमें वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। इसके अलावा मंदिर के अन्य सबूत भी होने का दावा किया गया था। जिसको मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद केस वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर किया गया था।

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