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अमेरिका का एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम थमा, साइबर अटैक की आशंका जानकारों का मानना है कि हमला कोरोना महामारी की वजह से हुआ क्योंकि इस पाइपलाइन के अधिकत इंजीनियर घरों से कंप्यूटर पर काम कर रहे थे।

नई दिल्ली | किसी साइबर अटैक के कारण किसी देश में आपातकाल लगने की खबर शायद ही आपने कभी पढ़ी होगी, लेकिन अमेरिका में बड़ा साइबर अटैक हुआ है। इस साइबर अटैक के बाद अमेरिकी सरकार ने आपातकाल का एलान कर दिया है। कहा जा रहा है कि यह अमेरिका में अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक है। अमेरिका की सबसे बड़ी ईंधन पाइपलाइन पर यह साइबर हमला हुआ है। जानकारों का मानना है कि हमला कोरोना महामारी की वजह से हुआ क्योंकि इस पाइपलाइन के अधिकत इंजीनियर घरों से कंप्यूटर पर काम कर रहे थे।

कोलोनियल पाइपलाइन से प्रतिदिन 25 लाख बैरल तेल जाता है। अमेरिका के ईस्ट कोस्ट के राज्यों में डीजल, गैस और जेट ईंधन की 45 फीसदी आपूर्ति इसी पाइपलाइन से होती है। पाइपलाइन पर साइबर अपराधियों के एक गैंग ने शुक्रवार को हमला किया जिसके बाद से इसकी मरम्मत का काम अभी भी जारी है। इमरजेंसी के एलान के बाद अब यहाँ से ईंधन की सप्लाई पाइपलाइन की जगह सड़क मार्ग से हो सकती है।

जानकारों का कहना है कि इसकी वजह से सोमवार को ईंधन की कीमतें 2-3 फीसदी तक बढ़ जाएंगी, लेकिन उनका मानना है कि अगर इसे जल्दी बहाल नहीं किया गया तो इसका असर और व्यापक हो सकता है। कई सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि ये रैन्समवेयर हमला डार्कसाइड नाम के एक साइबर-अपराधी गिरोह ने किया है। उन्होंने गुरुवार को कोलोनियल नेटवर्क में सेंध लगाई और लगभग 100GB डेटा को अपने कब्जे में ले लिया।

इसके बाद हैकरों ने कुछ कंप्यूटरों और सर्वरों पर डाटा को लॉक कर दिया और शुक्रवार को फिरौती की मांग की। उन्होंने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो वे इस डेटा को इंटरनेट पर लीक कर देंगे। कंपनी का कहना है कि वो सेवाओं को बहाल करने के लिए पुलिस, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और ऊर्जा विभाग के संपर्क में हैं। रविवार रात को उसने बताया कि उसकी चार मुख्य लाइनें ठप्प हैं और टर्मिनल से डिलीवरी प्वाइंट तक ले जाने वाली कुछ छोटी लाइनें काम करने लगी हैं।

 

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