उत्तर प्रदेश | गुरुवार, 19 मई को मथुरा कोर्ट में शाही ईदगाह मस्जिद विवाद परसुनवाई हुई। शाही ईदगाह मस्जिद हटाने को लेकर मथुरा जिला अदालत ने निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई को इजाजत दे दी है। जिला अदालत ने सिविल जज के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर ये फैसला सुनाया है। जिसके बाद कृष्ण जन्मभूमि से सटी ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका पर अदालती कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया है।
बार और बेंच के अनुसार जिला न्यायाधीश राजीव भारती ने कहा – “वादी को मुकदमा करने का अधिकार है। मामले को उसके मूल नंबर पर बहाल किया जाएगा।”
पूरा विवाद
इस मामले में याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशदेव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में वकील रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य सखाओं ने दायर किया है।
याचिका में भगवान कृष्ण विराजमान की ओर से श्री कृष्ण जन्म स्थान की 13.37 एकड़ जमीन वापस दिलाने की गुहार अदालत से लगाई गई है।
दावा किया गया है कि इसके बड़े हिस्से पर करीब चार सौ साल पहले औरंगजेब के फरमान से मंदिर ढहाने के बाद केशवदेव टीले और भूमि पर अवैध कब्जा कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी।
डेढ़ साल तक चली बहस
इस याचिका पर रिवीजन के तौर पर करीब डेढ़ साल तक बहस चली। इससे पहले 30 सितंबर 2020 को, कोर्ट ने उसी अधिनियम का हवाला देते हुए मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के मुकदमे को खारिज कर दिया था।
इसके बाद 5 मई को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इसे स्वीकार करने या न करने को लेकर 19 मई की तारीख दी थी।
विवादित जगह की खुदाई कराने की मांग
याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की निगरानी में जन्मभूमि परिसर की खुदाई कराई जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि खुदाई की एक जांच रिपोर्ट पेश की जाए। इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया है कि जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई थी, उसी जगह पर कारागार मौजूद है, जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस संबंध में कई लोगों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।