भारत ऑस्ट्रेलिया से सीरीज भले ही हार गया हो मगर स्मृति मंधाना गूगल ट्रेंड्स में टॉप पर है पिछले चौबीस घंटों में जिसके कारणये लेख उन्हें केंद्र में रख के शुरू करा गया है, और इसे एक व्यापक दृष्टि देने के लिए हमने महिला क्रिकेट के साथ ओलंपिक्स और अन्य खेलों में महिलाओं की स्तिथि पर बात की है|
स्मृति मंधाना भारतीय महिला क्रिकेट टीम की एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। कल के मैच में स्मृति ने अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को एक और जीत के करीब पहुंचाया। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली, शानदार स्ट्रोक्स, और स्थिरता ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
स्मृति मंधाना का करियर और योगदान
स्मृति मंधाना ने क्रिकेट में अपनी शुरुआत 2013 में की थी। उन्होंने बहुत ही कम समय में अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
- टी20 और वनडे में प्रदर्शन:
स्मृति मंधाना ने कई बार भारतीय टीम को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला है। उनका स्ट्राइक रेट और औसत उन्हें विश्व स्तरीय बल्लेबाजों में शामिल करता है।
- अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार:
2018 में आईसीसी वूमेन’स क्रिकेटर ऑफ द ईयर और वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब प्राप्त करना उनके करियर का एक मील का पत्थर था।
- लीग क्रिकेट में भागीदारी:
स्मृति कई अंतरराष्ट्रीय लीगों का हिस्सा रह चुकी हैं, जैसे महिला बिग बैश लीग (WBBL) और द हंड्रेड। इससे उनके खेल में विविधता और अनुभव जुड़ा है।
भारतीय महिला क्रिकेट का उत्थान
स्मृति मंधाना और उनकी साथी खिलाड़ियों जैसे हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी, और शैफाली वर्मा ने भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। हालांकि, पुरुष क्रिकेट की तुलना में महिला क्रिकेट को अभी भी कम ध्यान और संसाधन मिलते हैं।
- पैसे और सुविधाओं की कमी:
महिलाओं को उचित प्रैक्टिस ग्राउंड, कोचिंग स्टाफ, और ट्रेनिंग सुविधाएं नहीं मिलतीं। जबकि पुरुष क्रिकेटरों के लिए सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती।
- प्रचार और मीडिया कवरेज:
महिला क्रिकेट को मीडिया में वह स्थान नहीं मिल पाता, जो उसे मिलना चाहिए।
अन्य खेलों में महिलाओं की स्थिति
क्रिकेट के अलावा, अन्य खेलों में भी महिलाओं की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन चुनौतियां अब भी कायम हैं। पीवी सिंधु, सायना नेहवाल, मेरी कॉम, और मीराबाई चानू जैसी खिलाड़ी भारत के लिए गौरव लेकर आईं, लेकिन इसके बावजूद:
-सुविधाओं की कमी: अन्य खेलों में महिलाओं को प्रायोजकों और उचित ट्रेनिंग का अभाव झेलना पड़ता है।
– सामाजिक बाधाएँ: महिलाओं के खेल में भाग लेने को लेकर समाज में आज भी अनेक प्रकार की रूढ़िवादी सोच मौजूद है।
ओलंपिक्स में भारत की स्थिति
भारत का प्रदर्शन ओलंपिक्स में अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- खेल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी:
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खेल सुविधाओं की भारी कमी है।
- प्रशिक्षण का अभाव:
खिलाड़ियों को उच्च गुणवत्ता वाली ट्रेनिंग और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोचिंग नहीं मिल पाती।
- खेलों का चयन:
केवल कुछ खेलों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि बाकी खेल उपेक्षित रह जाते हैं।
सरकार के प्रयास
केन्द्र और राज्य सरकारें खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- ‘खेलो इंडिया’ योजना:
इस योजना के तहत प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन:
विभिन्न राज्यों में खेल अकादमियाँ स्थापित की जा रही हैं।
- महिला खिलाड़ियों पर विशेष ध्यान:
महिला खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएँ लागू की जा रही हैं।
सुधार की दिशा
- समान वेतन:
पुरुष और महिला खिलाड़ियों के बीच वेतन असमानता को दूर करना आवश्यक है।
- मीडिया कवरेज:
महिला खेलों को मीडिया में समान प्रचार दिया जाना चाहिए।
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर प्रोत्साहन:
खेलों को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाना चाहिए ताकि बच्चों में खेल के प्रति रुचि बढ़े।
- ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान:
ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
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स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ी भारतीय खेलों की दिशा और दशा को बदलने की क्षमता रखती हैं। उनका करियर एक प्रेरणा है, लेकिन खेलों में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए समाज, सरकार, और मीडिया को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। अगर सही दिशा में कदम उठाए जाएं, तो न केवल क्रिकेट, बल्कि अन्य खेलों में भी भारत का नाम रोशन होगा।