दक्षिणपंथ (Right-Wing Politics) भारतीय राजनीति में एक नई शक्ति के रूप में उभरा है। यह विचारधारा समाज, धर्म, और राष्ट्रवाद के विभिन्न पहलुओं पर आधारित है। 21वीं सदी में भारतीय राजनीति में इसका प्रभाव न केवल मजबूत हुआ है, बल्कि इसने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को बदलकर रख दिया है।
दक्षिणपंथ की परिभाषा और इतिहास
दक्षिणपंथ की राजनीति परंपराओं, सांस्कृतिक मूल्यों, और धार्मिक आदर्शों को केंद्र में रखती है। यह विचारधारा राष्ट्रवाद, आत्मनिर्भरता, और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है।
भारतीय संदर्भ में दक्षिणपंथ का उदय 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ। भारतीय जनसंघ (1951) और बाद में भारतीय जनता पार्टी (1980) के गठन ने इसे संगठित रूप दिया। 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन और आर्थिक उदारीकरण के साथ, दक्षिणपंथी राजनीति ने मुख्यधारा में प्रवेश किया।
दक्षिणपंथ का उभार: 21वीं सदी में प्रमुख कारण
1. राष्ट्रवाद का उदय
भारतीय जनता के बीच राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने में दक्षिणपंथी विचारधारा ने अहम भूमिका निभाई। 2014 के बाद, “सबका साथ, सबका विकास” जैसे नारों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया गया।
2. धर्म और राजनीति का गठजोड़
हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर जोर देकर, दक्षिणपंथी राजनीति ने बड़े पैमाने पर समर्थन हासिल किया।
- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण।
- काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों पर ध्यान केंद्रित करना।
3. मजबूत नेतृत्व
दक्षिणपंथी राजनीति के उदय में नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्तित्व ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को मजबूत किया।
4. मीडिया और सोशल मीडिया का उपयोग
सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग कर दक्षिणपंथी दलों ने अपनी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया। नए मीडिया युग में, यह उनके लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हुआ।
दक्षिणपंथ और भारतीय समाज
दक्षिणपंथ ने भारतीय समाज को कई तरीकों से प्रभावित किया है।
- धार्मिक ध्रुवीकरण: हिंदुत्व और अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर बढ़ते विमर्श।
- महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार: “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसी योजनाओं के माध्यम से सामाजिक सुधार।
- ग्राम विकास: ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर।
आर्थिक क्षेत्र में प्रभाव
दक्षिणपंथी सरकारें अक्सर उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण (LPG) का समर्थन करती हैं।
- मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं।
- विकासवाद को प्रोत्साहन।
दक्षिणपंथ की चुनौतियां
1. ध्रुवीकरण की राजनीति
धार्मिक और जातिगत आधार पर ध्रुवीकरण का आरोप।
2. अल्पसंख्यकों के अधिकार
दक्षिणपंथी राजनीति को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी के लिए आलोचना झेलनी पड़ती है।
3. वैचारिक एकरूपता
दक्षिणपंथ को बहुलवादी समाज में सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
दक्षिणपंथ का वैश्विक संदर्भ
दक्षिणपंथी विचारधारा केवल भारत तक सीमित नहीं है।
- अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी।
- यूरोप: ब्रेक्सिट और फ्रांस में नेशनल फ्रंट का उभार।
- एशिया: चीन और रूस में भी मजबूत राष्ट्रवादी नीतियों का प्रभाव।
भारत में दक्षिणपंथ का उदय वैश्विक प्रवृत्ति का हिस्सा है, जहां राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान का महत्व बढ़ा है।