उत्तर प्रदेश | कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन का जो सीरप उत्तर प्रदेश के अस्पतालों से मुफ्त बांटा जा रहा था, वह मानकों पर खरा नहीं उतरा है जिसके चलते राज्य के सभी जिलों से यह दवा वापस मंगाई जा रही है।
दैनिक जागरण की एक खबर के मुताबिक, यह दवा मिसब्रांड पाई गई है। मतलब कि इस पर न तो ढंग से इसकी एक्सपायर होने की तारीख अंकित थी और न ही संबंधित अन्य जानकारियां लिखी गई थीं। बड़ी संख्या में इस सीरप की आपूर्ति सरकारी अस्पतालों में की गई थी। सरकारी अस्पतालों में दवा पहुंचाने का जिम्मा उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन के पास है। कॉरपोरेशन ने यह दवा मेसर्स टेरेस फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी थी।
बहरहाल, अब कॉरपोरेशन द्वारा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को पत्र लिखकर सीरप वापस मंगाई जा रही है और अस्पतालों से इसका वितरण रोक दिया गया है।
राजधानी लखनऊ में 100 मिलीलीटर सीरप की कुल 2.78 लाख शीशियां मंगाई गई थीं। इसके अलावा लाखों की संख्या में सीरप अन्य जिलों में भी भेजे गए थे।
बहरहाल, अब कॉरपोरेशन की प्रबंधक कंचन वर्मा ने पत्र लिखकर सभी शीशी लौटाने के निर्देश जारी किए हैं।
I Next की खबर के मुताबिक, वर्मा ने कंपनी को भी दवा बदलकर नई दवा उपलब्ध कराने कहा है। साथ ही, प्रदेश भर के अस्पतालों में निशुल्क वितरण के लिए भेजी गईं सीरप की कुल संख्या 5 लाख से अधिक बताई जा रही है।
आधी से अधिक दवा का वितरण और इस्तेमाल होने के दौरान ही दवा के नमूने एकत्रित किए गए थे जो मानकों पर खरे नहीं उतरे।