एक शोध अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों के हृदय की मांसपेशियों के ऊतकों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो गए थे और ये दिल की धमनियों को क्षतिग्रस्त करनेवाले हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ गोटिंगेन और हनोवर मेडिकल स्कूल की एक शोध टीम ने इसका खुलासा किया है।
‘ईलाइफ जरनल’ में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस क्षेत्र में कुछ समय के लिए फेफड़े के ऊतकों को होनेवाले नुकसान को लेकर ही मुख्य रूप से जांच की गई और अब इसकी पूरी जांच की गई है। वर्तमान अध्ययन ने तीन आयामों में प्रभावित ऊतक की इमेजिंग और विश्लेषण करके पहली बार सूक्ष्म स्तर पर कोविड-19 संक्रमण होने पर हृदय पर पड़नेवाले प्रभावों को रेखांकित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने सिंक्रोट्रॉन विकिरण (विशेष रूप से उज्ज्वल एक्स-रे विकिरण) का उपयोग करके ऊतक बनावट की तस्वीरें उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरों से उतारीं और और इसे त्रि-आयामी (3डी) रूप से प्रदर्शित किया। ऐसा करने के लिए, उन्होंने एक विशेष एक्स-रे माइक्रोस्कोप का उपयोग किया जिसे गोटिंगेन विश्वविद्यालय ने हैम्बर्ग में जर्मन इलेक्ट्रॉन सिंक्रोट्रॉन डेसी में स्थापित किया है। जब उन्होंने कोविड-19 बीमारी के गंभीर रूप के प्रभावों की जांच की, तो उन्होंने हृदय की मांसपेशियों के ऊतकों में कोशिकाओं (छोटी रक्त वाहिकाओं) के स्तर पर स्पष्ट परिवर्तन देखा।
गंभीर बीमारी से प्रभावित ऊतकों की एक्स-रे तस्वीरों में एक स्वस्थ हृदय की तुलना में विभाजित, शाखाओं वाले और लूपों से भरा एक नेटवर्क दिखा, जिसे नए तरह से गठित कर और विभाजित कर फिर से नई नलिकाओं या नसों को तैयार किया गया था। ये परिवर्तन कोविड-19 संक्रमण के दौरान फेफड़ों की क्षति करनेवाले रहे। ऊतक में एक विशेष प्रकार का ‘इंटससुसेप्टिव एंजियोजीन’ पाया गया जिसका अर्थ ‘नई नस का निर्माण’ है।
कोशिका नेटवर्क की कल्पना करने के लिए, पहले त्रि-आयामी मात्रा में नलिकाओं द्वारा मशीन सीखने के तरीकों का उपयोग करके पहचाना जाना था। इसके लिए शुरू में शोधकर्ताओं को तस्वीरों से मिले आंकड़ों को मैन्युअल रूप से स्थापित करना आवश्यक था।
गोटिंगेन विश्वविद्यालय में शोध पत्र के पहले लेखक मारियस रीचर्ड ने बताया कि तस्वीरों के प्रसंस्करण में तेजी लाने के लिए हमने ऊतक बनावट को स्वचालित रूप से इसकी स्थानीय सममित विशेषताओं में तोड़ दिया और फिर उनकी तुलना की।
अध्ययन के प्रमुख गोटिंगेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टिम साल्डिट और प्रोफेसर डैनी जोनिग ने बताया कि इससे प्राप्त मापदंडों ने स्वस्थ ऊतक, या यहां तक कि गंभीर इन्फ्लूएंजा या सामान्य मायोकार्डिटिस जैसी बीमारियों की तुलना में पूरी तरह से अलग गुणवत्ता दिखाई। उन्होंने बताया कि यह बहुत अहम शोध है।