दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक दिन पहले दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों का विरोध करने पर पुलिस की कथित बर्बरता की निंदा की और उनसे उनकी मांगों को सुनने का आग्रह किया। दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने नीट-पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी को लेकर अपना विरोध तेज कर दिया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से भी मुलाकात की थी।
सरकारी अस्पतालों में रेजिडेंड डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनकी मांगों को सुनने का आग्रह किया है। साथ ही पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के साथ कथित बर्बरता का आरोप लगाते हुए घटना की निंदा की। केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा कि डॉक्टरों को अस्पतालों में होना चाहिए न कि सड़कों पर क्योंकि उन्होंने सरकार से उनकी मांगों का जल्द से जल्द समाधान खोजने का आग्रह किया।
केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा, “ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण बढ़ती चिंताओं के बीच केंद्र सरकार के अस्पतालों के डॉक्टर सड़कों पर विरोध कर रहे हैं। यह देखना बहुत निराशाजनक है कि विरोध करते हुए पुलिस द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। काउंसिलिंग में देरी छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रही है। कई डॉक्टरों ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाई और उनकी मांगों को सुनना हमारा कर्तव्य है।”
दिल्ली भर के कई रेजिडेंट डॉक्टर एनईईटी-पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी के खिलाफ 27 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो आर्थिक आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही याचिकाओं के कारण रुकी हुई है।
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले समूहों में से एक फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने डॉक्टरों के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा की गई क्रूरता के विरोध में 29 दिसंबर को सुबह 8 बजे से देश भर में सभी स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह से वापसी का आह्वान किया है। इससे पहले 24 नवंबर को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर नीट-पीजी काउंसलिंग संकट को हल करने और कोविड -19 संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर जनशक्ति बढ़ाने का आग्रह किया था।