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टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को सुनाई गई उम्र कैद की सज़ा सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा कि मैं एक दशक से ज्यादा वक्त से हिंसा से दूर हूं।

नई दिल्ली | जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी और आतंकवादी यासीन मलिक को अदालत ने टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में यह सुनाई है। सजा सुनाए जाने के बाद यासीन मलिक चुपचाप बैठा रहा। यासीन मलिक को सजा के बीच कश्मीर घाटी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और यासीन मलिक के घर पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है।

इतना ही नहीं अदालत परिसर में भी सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी और फैसले से पहले डॉग स्क्वॉड के जरिए निगरानी की गई। यासीन मलिक पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, टेरर फंडिंग करनने, आतंकी साजिश रचने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे आरोपों में कई मामले दर्ज हैं। भारतीय वायुसेना के 4 निहत्थे अफसरों, पूर्व होम मिनिस्टर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण समेत कई मामलों में यासीन मलिक आरोपी है।

एनआईए ने टेरर फंडिंग में दोषी ठहराए गए यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। एनआईए ने कहा कि यासीन मलिक ने जिस के जुर्मों को अंजाम दिया था, उसे देखते हुए मलिक को फांसी से कम की सजा नहीं दी जानी चाहिए। यासीन मलिक ने केस की सुनवाई के दौरान खुद भी अपना गुनाह कबूल किया था और वकील भी वापस कर दिया था। यासीन मलिक की सजा के ऐलान से पहले पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रही।

सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा कि मैं एक दशक से ज्यादा वक्त से हिंसा से दूर हूं।

यासीन के वकील फरहान ने कहा – ‘मैंने देश के 7 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। यहां तक कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने ही उनका पासपोर्ट बहाल किया था।’

यासीन मलिक के वकील ने कहा कि जब उन्होंने साफगोई से अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है और हिंसा का रास्ता छोड़ दिया था तो फिर उन्हें सजा देने में नरमी बरती जानी चाहिए।

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