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सीएम योगी की पहल पर आगे आए WHO और दिल्ली AIIMS, Trauma के हर केस में हो रही जान बचाने की कोशिश डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स ने देश में पहली बार ट्रामा केसेज में यूपी के स्वास्थ्य कर्मियों को दे रहे इलाज की ट्रेनिंग

लखनऊ | सड़क हादसों में घायलों का जीवन बचाने के लिए पल-पल का समय कीमती होता है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर देश में पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और दिल्ली एम्स आगे आए हैं। घायलों के बेहतर और समय रहते इलाज के लिए डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स संयुक्त रूप से राज्य के 100 स्वास्थ्य कर्मियों को तीन चरणों में उपचार की भौतिक रूप से ट्रेनिंग दे रहे हैं। पहले फेज में गुरुवार को 33 स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग पूरी भी हो गई है।

सीएम योगी के आदेश पर हादसों में मौतों की संख्या को कम करने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग युद्ध स्तर पर जुट गया है। ट्रामा सेंटर्स और इमरजेंसी में घायलों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की पांच दिवसीय ट्रेनिंग दिल्ली एम्स में कराई जा रही है। डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स दिसंबर तक तीन बैच में प्रदेश के सौ स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग देंगे। इसमें 50 डॉक्टर, 25 पैरा मेडिकल स्टाफ और 25 नर्सों को ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले बैच में कुल 33 डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ और नर्सों की ट्रेनिंग हुई है।

  • हर जान है अनमोल, अब इमरजेंसी में मिलेगा और बेहतर इलाज
  • डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स ने संयुक्त रूप से घायलों के बेहतर इलाज के लिए 33 स्वास्थ्य कर्मियों को दी ट्रेनिंग, दिसंबर तक तीन बैच में यूपी के सौ स्वास्थ्य कर्मियों की होगी ट्रेनिंग

यूपी के इन प्रयासों को दूसरे राज्य भी सराह रहे : आलोक कुमार
इस बारे में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में घायलों के इलाज को लेकर इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर की माॅनिटरिंग की जा रही है। हमारी कोशिश है कि घायलों को तत्काल उच्च स्तरीय उपचार मिले, जिससे उनकी जान बचाई जा सके। सीएम योगी का ट्रामा केसेज में आम लोगों की जान बचाने को लेकर यह बड़ा फैसला है। सीएम योगी के प्रयासों से देश में पहली बार डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। यूपी के इन प्रयासों को दूसरे राज्य भी सराह रहे हैं और वह डब्ल्यूएचओ और दिल्ली एम्स से इस प्रकार की ट्रेनिंग के लिए संपर्क कर रहे हैं।

मऊ और शामली में भी जल्द मेडिकल कॉलेज
16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर बनने वाले मेडिकल कॉलेजों में जल्द ही मऊ और शामली में भी होंगे। इसके लिए सीएम योगी की अनुमति पर मऊ और शामली में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए दो निजी संस्थाओं से एमओयू हुआ है और डीजीएमई की ओर से आदेश जारी किए गए हैं।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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