Zindademocracy

UP Election एक समय योगी को दी थी पटखनी , संजय निषाद अब मिलकर जीते 11 सीटें खुद के सिम्बल पर 10 में 6 , कमल के निशान पर 6 में से 5 उम्मीदवार विजयी

उत्तर प्रदेश की जनता ने एक एक बार फिर भाजपा को पूर्ण अहमत देकर सरकार और प्रदेश चलाने का मौका दिया।

ये नतीजे ((Uttar Pradesh Election Result) अपने साथ लाये हैं यूपी की राजनीति में BSP और कांग्रेस के साफ होने की कहानी तो कुछ ही सालों में निषाद पार्टी जैसे छोटे दलों के छा जाने का फसाना। इन नतीजों में हम निषाद पार्टी के सिरमौर संजय निषाद के लिए राजनीतिक अर्थ खोजने की कोशिश करते हैं।

यूपी चुनाव 2022 में निषाद पार्टी का प्रदर्शन
पहली बार अपने चुनाव चिह्न पर 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी निषाद पार्टी ने उनमें से छह सीटों पर जीत हासिल की है. साथ ही 6 सीटों पर निषाद पार्टी के उम्मीदवार बीजेपी के सिंबल पर चुनाव में उतरे थे और उनमे से 5 सीट जीतने में कामयाब रहे. यानी असल में 16 सीटों में से निषाद पार्टी ने 11 पर जीत हासिल की।

निषाद पार्टी के सिंबल पर जीतने वाले उम्मीदवार

विपुल दुबे- ज्ञानपुर विधानसभा सीट

डॉ बिनोद बिंद- मझवान विधानसभा सीट

अनिल त्रिपाठी- मेहदावल विधानसभा सीट

ऋषि त्रिपाठी- नौतनवां विधानसभा सीट

विवेक पांडे- खड्डा विधानसभा सीट

रमेश सिंह- शाहगंज विधानसभा सीट

बीजेपी के सिंबल पर जीतने वाले उम्मीदवार

सरवन निषाद (संजय निषाद के बेटे)- चौरीचौरा विधानसभा सीट

पीयूष रंजन निषाद- करछना विधानसभा सीट

केतकी सिंह- बांसडीह विधानसभा सीट

राजबाबू उपाध्याय- सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट

डॉ असीम रॉय- तमकुहीराज विधानसभा सीट

पार्टी के इस शानदार प्रदर्शन ने अध्यक्ष संजय निषाद का राजनैतिक कद बढ़ा दिया है। इस जीत के मायने समझने के लिए कांग्रेस और बसपा के प्रदर्शन को देख क्र भी किया जा सकता है। यूपी में 2007 में 206 सीटों पर जीतकर मुख्यमंत्री बनने वाली मायावती की पार्टी BSP न इ इस बार एक सीट पर जीत दर्ज की है वहीँ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस सिर्फ 2 सीटों पर जीत का मुँह देख पायी।

2017 में दी थी बीजेपी को उसके ही गढ़ में मात

निषाद पार्टी ने 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी, अपना दल और जन अधिकार पार्टी के साथ गठबंधन किया था और 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन तब उसे सिर्फ भदोही के ज्ञानपुर सीट पर जीत हासिल हुई थी।

लेकिन यह तस्वीर 2018 में बदल गयी। 2018 में गोरखपुर शहर के लोकसभा उपचुनाव में, निषाद पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और यूपी के राजनीतिक क्षेत्र में अपना लोहा मनवाते हुए बीजेपी को धूल चटा दी। विजयी उम्मीदवार थे प्रवीण कुमार निषाद जो संजय निषाद के बड़े बेटे हैं।

हालांकि, एक साल बाद ही समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूट गया और 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय निषाद ने बीजेपी से हाथ मिला लिया. इस बार उनके बेटे प्रवीण कुमार बीजेपी के टिकट पर संत कबीर नगर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे और जीत हासिल की।

चुनौतियों के बीच निषाद पार्टी ने दिखाया दम

गठबंधन की सहयोगी बीजेपी द्वारा निषाद पार्टी को दी गई सीटों को जीतना मुश्किल माना जा रहा था. दूसरी चुनौती थी की समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सहित कई दल ने भी निषाद समुदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर निषाद जाति के वोटर्स को अपने पाले में करने की कोशिश की थी, जो पार्टी के वोट बैंक के लिए एक गंभीर चुनौती थी।

तीसरी चुनौती थी कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (पीएमएसपी) और सर्वहारा विकास पार्टी (एसएसपी) जैसी अपेक्षाकृत छोटी पार्टियां भी निषाद पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में थी.
बावजूद इनके 2022 के इस विधानसभा चुनाव में संजय निषाद की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए उनका कद बड़ा कर दिया है. यह जरूर है कि बीजेपी ने अकेले ही आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार किया है लेकिन बीजेपी आलाकमान भी जानती है कि निषाद पार्टी पूर्वांचल में उसे जातीय समीकरण को अपने पाले में करने का सही मौका देती है.

तीसरी और सबसे बड़ी चुनौती थी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (पीएमएसपी) और सर्वहारा विकास पार्टी (एसएसपी) जैसी अपेक्षाकृत छोटी पार्टियां भी निषाद पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती थी। BJP ने चाहे अपने दम पर बड़ी आसानी से बहुमत हासिल कऱ लिया हो लेकिन को जानती है पूर्वांचल के जातीय समीकरण को साधने के लिए निषाद पार्टी से गठबंधन भविष्य में भी फायदेमंद साबित होगा।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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