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UP ELECTION 2022: CM योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से चुनाव लड़ना लगभग तय , चुनाव समिति में मुहर लगने की खबर BJP योगी को अयोध्या से लड़ाकर खलेना चाहती है हिंदुत्व का ट्रंपकार्ड, दोनों डिप्टी CM भी लड़ेंगे चुनाव !

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अगर लड़ेंगे तो कहाँ से लड़ेंगे इस बात की चर्चा हर ओर चल रही है। ऐसे में यह बात भी सामने आ रही है की योगी का अयोध्या से चुनाव लड़ना लगभग तय हो गया है। इससे पहले सीएम योगी के मथुरा से चुनाव लड़ने की चर्चा थी। सूत्रों के हवाले से यह भी खबर अब आम है की दिल्ली में चल रही बीजेपी की हाई लेवल मीटिंग के दौरान ये फैसला किया गया है। इस फैसले के पीछे की मंशा योगी के चेहरे पर हिंदुत्व कार्ड खेलने की है। एक तीर से दो निशाने लगाने की योजना के तहत BJP अपने कोर मतदाताओं को साफ़ सन्देश देना चाहती है की पार्टी अपने अजेंडे पर कायम है।

 

वहीं बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राम मंदिर एक ऐसा मुद्दा है जो हिंदुओं को एकजुट करता है । ये एक भावनात्मक मुद्दा भी है और योगी से ज़्यादा प्रासंगिक चेहरा और कौनसा हो सकता है । वे राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं। योगी का इस सीट से लगाव भी है और वहां की जनता का प्यार भी उन्हें मिलता रहा है। यही कारण है कि पार्टी भी चाहती है कि योगी ही इस सीट का चेहरा बनें. इससे पहले मथुरा में जन विश्वास यात्रा के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि योगी मथुरा से पार्टी का चेहरा बनेंगे।

2017 में भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता ने इस सीट से चुनाव लड़े थे और जीते थे। अयोध्या में वेद प्रकाश गुप्ता का काफी प्रभाव माना जाता है। सात चरण के चुनाव में अयोध्या में पांचवे चरण में चुनाव होंगे। वैसे खुद मुख्यमंत्री की इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। उनका यही कहना है की पार्टी जहाँ से आदेश करेगी वो वहां से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। गोरखपुर को भी योगी के लिए ख़ास माना जाता है।

चुनाव समिति की इसी बैठक में दोनों डिप्टी CM को भी चुनाव लड़ाने के फैसले की भी खबरें आ रही हैं। बीते कुछ दिन BJP के लिए तनावपूर्ण रहे हैं , पार्टी भगदड़ की स्तिथि से गुज़र रही है। ऐसे में आलाकमान डैमेज कण्ट्रोल मोड में है और जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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