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रूस करेगा UNSC में अपने ही खिलाफ वोटिंग की अध्यक्षता, क्या रहेगा भारत का रूख? UNSC के पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका हैं.

नई दिल्ली | यूक्रेन की राजधानी कीव पर होते रूसी हवाई हमलों के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में शुक्रवार, 25 फरवरी को रूस के आक्रमण और यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन की “सबसे कड़ी शब्दों में” निंदा करने वाले एक मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग होगी .

अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव एक ऐसा कदम है जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के फैसले के बाद वैश्विक मंच पर रूस को अलग-थलग करने का प्रयास करता है.

यूक्रेन में स्थिति पर एक आपातकालीन बैठक आयोजित करने के लिए वोटिंग के दो दिन बाद UNSC में इस मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही है. आपको बताते हैं कि कौन-कौन से देश UNSC के स्थाई और अस्थाई सदस्य हैं, यूक्रेन पर रूस के हमले पर उनका क्या स्टैंड है और वीटो पावर का क्या मतलब है?

क्या UNSC के स्थाई सदस्य करेंगे रूस के खिलाफ वोटिंग ?
अंतररार्ष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना ही सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्राथमिक जिम्मेदारी है. इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं, जिसमें 5 स्थाई और 10 अस्थाई. हर सदस्य के पास एक वोट होता है. UN चार्टर के तहत, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश UNSC परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य हैं.

UNSC के पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका हैं.

चूंकि अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस शुरू से ही यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का विरोध करते आए हैं और उसे NATO गठबंधन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, यह तय है कि वे UNSC में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर वोट करेंगे.

दूसरी तरफ रूस का अपने ही खिलाफ वोट डालने का सवाल ही नहीं उठता. विडंबना देखिए कि रूस के खिलाफ लाए इस प्रस्ताव पर वोटिंग की अध्यक्षता खुद रूस ही करेगा क्योंकि रूस फरवरी महीने के लिए UNSC का प्रेसिडेंट है.

अंतिम बचा चीन. चीन ने रूस के साथ-साथ इससे 2 दिन बुलाए गए यूक्रेन बॉर्डर की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक के खिलाफ वोट डाला था. यह लगभग तय माना जा रहा है कि इसबार भी चीन रूस का साथ देगा और निंदा प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेगा.

क्या रहेगा भारत का रुख ?
UNSC में 10 स्थाई सदस्य अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना, भारत, आयरलैंड, केन्या, मेक्सिको, नॉर्वे और संयुक्त अरब अमीरात हैं.

सभी की निगाहें भारत पर टिकी होंगी कि वह प्रस्ताव पर कैसे वोट करता है. 31 जनवरी को, भारत ने यूक्रेन बॉर्डर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक से पहले सुरक्षा परिषद में की गई वोटिंग में भाग नहीं लिया था.
भारत ने अब तक रूस का नाम लिए बिना शांति और वार्ता से समाधान निकालने की मांग की है, कहीं भी यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला करने के लिए रूस की सीधी आलोचना नहीं की है. माना जा रहा है कि इस बार भी भारत वोटिंग में भाग नहीं लेने का विकल्प चुन सकता है.

क्या है स्थाई सदस्यों को मिला वीटो पावर?
स्थाई सदस्यता के अलावा वीटो पावर स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर है. UN चार्टर का आर्टिकल 27 (3) यह स्थापित करता है कि UNSC के सभी वास्तविक निर्णय “स्थायी सदस्यों के सहमति वोटों” के साथ किए जाने चाहिए.

यानी अगर स्थाई सदस्य में से किसी एक ने भी किसी प्रस्ताव के खिलाफ वोट कर दिया तो वह प्रस्ताव पास नहीं होगा. स्थाई सदस्यों के इसी पावर को वीटो पावर कहते हैं. स्थायी सदस्य अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए, अपनी फॉरेन पॉलिसी के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए इसका प्रयोग करते हैं.

स्थाई सदस्यों के विपरीत, गैर-स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर नहीं होता है. हालांकि उनके पास “वीटो का सामूहिक अधिकार” है – यानी UNSC के किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए कम से कम सात गैर-स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक है, भले ही सभी स्थायी सदस्य इसका समर्थन क्यों न कर रहे हों.

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