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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में किया अहम बदलाव - कक्षा 9 से लेकर 12वीं के एक करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ेंगी महापुरुषों की जीवन गाथा

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के बच्चों को देश के महापुरुषों, क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार और देश की आजादी में अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले महानुभावों से रूबरू कराने के लिए उनके पाठ्यक्रम में उनकी जीवन गाथा शामिल करने के निर्देश दिये थे, ताकि बच्चे देश के स्वातंत्र्य वीरों की शौर्यगाथा से परिचित हो सकें। मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद से ही इन महापुरुषों के नामों को लेकर यूपी बाेर्ड में लंबे समय से कवायद चल रही थी। इसको लेकर कुछ समय पहले यूपी बोर्ड के विषय विशेषज्ञों की ओर से महापुरुषों के नाम की सूची शासन को भेजी गई थी, जिस पर शासन की मुहर लगने के बाद यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर समेत 50 महापुरुषों की जीवन गाथा शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

एक करोड़ से ज्यादा छात्र छात्राएं पढ़ेंगे महापुरुषों की जीवन गाथा
यूपी बोर्ड ने नैतिक योग खेल एवं शारीरिक शिक्षा विषय में भी इन महापुरुषों की जीवन गाथा को शामिल किया है। इन महापुरुषों की जीवन गाथा, जुलाई से स्कूलों में शुरू होने वाली पाठ्यक्रम में शामिल होगी। यह विषय सभी विद्यालयों के लिए अनिवार्य किया गया है। छात्र छात्राओं को इस विषय में पास होना अनिवार्य है। ऐसे में एक करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ेंगे। हालांकि इसके अंक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंकपत्र में शामिल नहीं होंगे। यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर पाठ्यक्रम में इन महापुरुषों के नाम शामिल करते हुए उसे जारी कर दिया गया है। यूपी बोर्ड के 27 हजार से ज्यादा राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के एक करोड़ से ज्यादा छात्र छात्राएं इन महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ेंगे.

कक्षा 9 वीं और 10 वीं के छात्र पढ़ेंगे इन महापुरुषों की जीवन गाथा
कक्षा नौ के छात्र चंद्र शेखर आजाद, बिरसा मुंडा, बेगम हजरत महल, वीर कुंवर सिंह, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, गौतम बुद्ध, ज्योतिबा फुले, छत्रपति शिवाजी,विनायक दामोदर सावरकर, विनोबा भावे, श्रीनिवास रामानुजन और जगदीश चंद्र बोस की जीवन गाथा पढ़ेंगे, जबकि कक्षा 10 के छात्र मंगल पांडेय, रोशन सिंह, सुखदेव, लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, खुदीराम बोस और स्वामी विवेकानंद की जीवन गाथा पढ़ेंगे।

कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र पढ़ेंगे इन महापुरुषों की जीवन गाथा
कक्षा 11 के छात्र राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, महावीर जैन, भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राममोहन राय, सरोजिनी नायडू, नाना साहब, महर्षि पतंजलि, शल्य चिकित्सक सुश्रुत और डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की जीवन गाथा पढ़ेंगे जबकि 12वीं के छात्र रामकृष्ण परमहंस, गणेश शंकर विद्यार्थी, राजगुरु रवींद्रनाथ टैगोर, लाल बहादुर शास्त्री, रानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, बंकिम चंद्र चटर्जी, आदि शंकराचार्य, गुरु नानक देव, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, रामानुजाचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट और सीवी रमन की जीवन गाथा पढ़ेंगे।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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