नई दिल्ली | माइक्रोसॉफ्ट ने इस हफ्ते गेमिंग इंडस्ट्री को चौंका दिया। कंपनी ने घोषणा की कि वह गेम पब्लिशर एक्टिविजन ब्लिजार्ड को 68.7 अरब डॉलर में खरीदेगी। यह डील कंपनी को निन्टेंडो से भी बड़ी वीडियो-गेम कंपनी बना देगी। Xbox गेमिंग सिस्टम बनाने वाली ‘Microsoft’ ने कहा है कि कैंडी क्रश, कॉल ऑफ ड्यूटी, ओवरवॉच और डियाब्लो जैसे गेम बनाने वाली कंपनी को हासिल करना गेमर्स के लिए अच्छा होगा। कंपनी मेटावर्स के लिए भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाएगी।
लेकिन कंसोल या मोबाइल पर वीडियो गेम खेलने वाले लाखों लोगों के लिए इस डील का क्या मतलब है।
क्या यह गेमर्स के लिए अच्छा है?
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, RBC एनालिस्ट ऋषि जलुरिया ने कहा कि एक नॉर्मल व्यक्ति जो कैंडी क्रश या कुछ और खेल रहा है, उसके लिए शायद कोई बदलाव नहीं होगा।
हालांकि जलुरिया समेत इस इंडस्ट्री पर नजर रखने वाले बाकी लोगों को लगता है कि यह गेम के डेवलपमेंट के लिए अच्छी खबर हो सकती है।
एनालिस्ट विल मैककॉन-वाइट ने कहा कि ‘Microsoft इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी की अपनी वैराइटी को बढ़ाना चाहती है। उनका टारगेट वीडियो गेम को व्यापक ऑडियंस तक पहुंचाना है।’
दूसरी ओर, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी द्वारा गेम के कंटेंट को कंट्रोल करने की संभावना भी है। इससे यह चिंता पैदा होती है कि क्या कंपनी एक्टिविजन ब्लिजार्ड द्वारा बनाए गए गेम्स को अपने कॉम्पिटिटर्स के लिए प्रतिबंधित कर सकती है।
एनालिस्ट माइकल पच्टर कहते हैं कि Microsoft अपनी Xbox सब्सक्रिप्शन सर्विस में एक्टिविजन ब्लिजार्ड के गेम्स ला सकती है। इनमें से कुछ एक्सक्लूसिव हो सकते हैं। हालांकि उनका कहना है कि एंटीट्रस्ट रेगुलेटर माइक्रोसॉफ्ट को सोनी के प्लेस्टेशन से इन गेम्स को दूर रखने की अनुमति नहीं देंगे।
क्या यह वास्तव में मेटावर्स के बारे में है?
माइक्रोसॉफ्ट ऐसा कहता है। कुछ ऐसे तरीके भी हैं जिनसे कंपनी को मेटा जैसे कॉम्पिटिटर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सकती है।
RBC एनालिस्ट जलुरिया ने कहा कि ‘यही वह जगह है जहां एक्टिविजन के गेम्स वास्तव में मदद करता है। उन्होंने समझाया कि लाखों लोग ‘कॉल ऑफ ड्यूटी’ ऑनलाइन खेलते हैं। गेमिंग कम्युनिटी के ये एलिमेंट, मेटावर्स को अपनाने में आगे आ सकते हैं।
नोट्रे डेम यूनिवर्सिटी में टेक्नॉलॉजी एथिक्स लैब के संस्थापक निदेशक एलिजाबेथ रेनिएरिस कहते हैं, इस तरह के वर्चुअल सोशल नेटवर्क में ज्यादा लोगों को शामिल करना मजेदार नहीं होगा। इससे ऑनलाइन उत्पीड़न और ट्रोलिंग जैसी समस्याओं बढ़ सकती हैं।
क्या यह डील पूरी होगी?
पता नहीं। रेगुलेटर और कॉम्पिटिटर्स इस डील को रोकने के लिए दबाव बना सकते हैं।
बाकी टेक कंपनियों जैसे- मेटा, गूगल, एमेजॉन और ऐपल ने अमेरिका और यूरोप में एंटीट्रस्ट नियामकों का ध्यान आकर्षित किया है। लेकिन ‘एक्टिविजन ब्लिजार्ड’ डील इतनी बड़ी है कि माइक्रोसॉफ्ट खुद ही रेगुलेटर की नजर में आ जाएगी।