सवाल 1: रूस-यूक्रेन विवाद की वजह क्या है?
रूस-यूक्रेन के बीच ताजा विवाद की असली वजह समझने के लिए इतिहास में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।
• 20वीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन रूस साम्राज्य का हिस्सा था। 1917 में ब्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में हुई रूसी क्रांति के बाद 1918 में यूक्रेन ने आजादी की घोषणा कर दी, लेकिन 1921 में लेनिन की सेना से हार के बाद 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया।
• यूक्रेन में रूस से आजादी के लिए संघर्ष चलता रहा और रूस के खिलाफ कई हथियारबंद समूहों ने विद्रोह की कोशिश की, जो सफल नहीं हुई।
• 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने इस विद्रोह को दबाने के लिए क्रीमिया आइलैंड को यूक्रेन को तोहफे में दे दिया था।
• 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया।
• आजाद होते ही यूक्रेन रूसी प्रभाव से मुक्ति की कोशिशों में जुट गया और इसके लिए उसने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाईं।
• 2010 में रूस समर्थित विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। यानुकोविच ने रूस के साथ करीबी संबंध बनाए और यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन से जुड़ने के फैसले को खारिज कर दिया, जिसका यूक्रेन में कड़ा विरोध हुआ।
• इसकी वजह से 2014 में विक्टर यानुकोविच को पद छोड़ना पड़ा। उसी साल यूक्रेन के राष्ट्रपति बने पेट्रो पोरोशेंको ने यूरोपियन यूनियन के साथ डील साइन कर ली।
• 2014 में रूस ने यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर हमला करके कब्जा जमा लिया।
• दिसंबर 2021 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता लेने का ऐलान किया था। यूक्रेन की इस घोषणा के बाद से ही रूस नाराज है, जो नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो से जुड़े।
• यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए पिछले कुछ महीनों से लाखों की संख्या में रूसी सैनिक यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं और माना जा रहा है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
सवाल 2: 2014 में रूस ने यूक्रेन पर क्यों किया था हमला?
विक्टर यानुकोविच के पद छोड़ने के बाद रूस ने 2014 में यूक्रेन पर हमला कर दिया और 1950 से ही यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर कब्जा कर लिया।
साथ ही रूस समर्थित अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के दो शहरों लुहान्स्क और डोनेट्स्क में यूक्रेन के खिलाफ विद्रोह करते हुए वहां विद्रोही गणराज्यों के गठन का ऐलान कर दिया।
रूस पर यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद करने का आरोप लगता रहा है, जिसे रूस खारिज करता रहा है।
यूक्रेन में पिछले 8 सालों से सरकार और रूसी समर्थक अलगाववादियों के बीच संघर्ष जारी है, जिसमें 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
सवाल 3: रूस-यूक्रेन के संबंध कैसे रहे हैं?
लंबे समय तक रूस का हिस्सा रहे यूक्रेन और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव को रूसी शहरों की मां कहा जाता है। यूक्रेन में करीब 80 लाख रूसी मूल के लोग रहते हैं।
क्रीमिया पर 2014 में कब्जा करते समय रूस ने कहा था कि उसने ऐसा वहां रहने वाले रूसी लोगों की सुरक्षा के लिए किया है।
यूक्रेन में रूसी मूल की आबादी की बड़ी संख्या में होने की वजह से ही वहां लोग दो धड़े में बंटे हैं। इनमें से एक धड़ा रूस का समर्थन करता है, जबकि दूसरा यूरोपियन यूनियन और अमेरिका समर्थित नाटो का समर्थक रहा है।
सवाल 4: यूक्रेन क्यों है रूस और पश्चिमी देशों के लिए महत्वपूर्ण?
• रूस यूक्रेन की सीमा से सटा देश है, इसलिए उसकी सुरक्षा के लिए यूक्रेन बेहद अहम है।
• रूस मानना है कि यूक्रेन के NATO के साथ जाने का मतलब होगा रूस के धड़ से सिर का अलग होना।
• अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को बुलाने से हुई किरकिरी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन के मुद्दे से अपनी इमेज चमकाना चाहते हैं।
• यूक्रेन को अपने पाले में करके अमेरिका एक बार फिर से कूटनीति के शह-मात के खेल में रूस को मात देना चाहता है।
• यूरोपीय देशों और अमेरिका की कोशिश यूक्रेन के जरिए रूस के यूरोप में दबदबा बढ़ाने से रोकने की है।
• अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो कोल्ड वॉर में जीत हासिल कर चुके अमेरिका के दबदबे को करारा झटका लगेगा।
सवाल 5: रूस क्यों कर रहा है यूक्रेन के नाटो से जुड़ने का विरोध?
यूक्रेन की रूस के साथ 2 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो नाटो सेनाओं की पहुंच रूसी सीमा तक हो जाएगी।
ऐसे में यूक्रेन से लड़ाई की सूरत में नाटो के देश रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ सकते हैं, जो रूस की सुरक्षा के लिए कतई अच्छा नहीं होगा।
अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया, तो रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है।
यही वजह है कि रूस यूक्रेन के नाटो से जुड़ने को लेकर चेतावनी जारी करता रहा है। रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन कभी भी नाटो से नहीं जुड़ेगा।
सवाल 6: यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं कितने रूसी सैनिक?
पिछले दो महीने से यूक्रेन की सीमा पर रूस के 1.50 लाख से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। इनमें से हजारों की संख्या में सैनिक यूक्रेन के करीब और रूसी कब्जे वाले शहर क्रीमिया में तैनात हैं।
साथ ही यूक्रेन की सीमा के आसपास रूस ने अपने इलाके में कई फाइटर जेट भी तैनात कर रखे हैं। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि रूस के फाइटर जेट एकदम हमले के लिए तैयार मोड में रखे गए हैं।
सवाल 7: रूस-यूक्रेन युद्ध हुआ तो दुनिया पर पड़ेगा क्या असर?
रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ने पर इससे न केवल ये दोनों देश प्रभावित होंगे बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर नजर आने की संभावना है।
• दुनिया के कच्चे तेल के उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी 13% है। यूक्रेन से लड़ाई की सूरत में रूस से कच्चे तेल का उत्पादन और सप्लाई बाधित होगी, जिससे दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे।
• फरवरी में कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल के साथ 2014 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। रूस-यूक्रेन विवाद बढ़ने पर कच्चे तेल की कीमतों के और बढ़ने की आशंका है।
• नेचुरल गैस सप्लाई में रूस की हिस्सेदारी 40% है। यूरोप की गैस की सप्लाई का एक तिहाई हिस्सा रूस से आता है, जिसमें से ज्यादातर गैस पाइपलाइन यूक्रेन से गुजरती है। यूक्रेन के साथ युद्ध की स्थिति में ये सप्लाई चेन प्रभावित होगी। इससे यूरोप और बाकी देशों में गैस महंगी होगी।
• दुनिया के अनाज की सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा काला सागर से होकर गुजरता है, जिसकी सीमा रूस और यूक्रेन दोनों से लगती है। रूस और यूक्रेन दुनिया के दो सबसे बड़े गेहूं उत्पादक हैं। रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और यूक्रेन नौवां सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
• अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो न केवल अनाज की सप्लाई, बल्कि इसके उत्पादन पर भी असर पड़ेगा, जिससे दुनिया भर में अनाज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो सकती है।