कानपूर, उत्तर प्रदेश | कानपूर में बना मशहूर बाबा बिरयानी रेस्ट्रॉन्ट अब टूटेगा। यह रेस्टोरेंट चमनगंज में मौजूद रामजानकी मंदिर परिसर में बनाया गया है। चस्पा की गयी नोटिस को संचालक ने फाड़कर फेंक दिया। अब उस संचालक से 10 दिन के भीतर जवाब माँगा गया है। यह साड़ी दलीलें और साड़ी कार्रवाई एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर हुई है। इस रिपोर्ट में परिसर पर कब्ज़ा करने की बात तो बताई ही गयी है, मंदिर के अवशेष मिटाए जाने की बात सामने आई है।
एसडीएम की रिपोर्ट में क्या बताया गया!
एसडीएम द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि अस्सी के दशक में जहां मंदिर हुआ करता था, पूजा पाठ होती थी, वहां अब नामचीन नानवेज रेस्टोरेंट है। मंदिर का कुछ हिस्सा ही बचा है वह भी जीर्ण शीर्ण हालत में है। मंदिर के बचे हिस्से को भी अंदर ही अंदर तोड़कर रेस्टोरेंट की रसोई के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मौजूदा हालात से साफ है कि मंदिर की एक-एक ईंट निकालकर वहां रेस्टोरेंट की नींव रखी गई जो बाबा बिरयानी के नाम से देशभर में मशहूर है।
बेकनगंज के डा. बेरी चौराहा स्थित भवन संख्या 99/14ए में रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन जहां भगवान श्रीराम का मंदिर था। हालांकि इस संपत्ति को पाक नागरिक आबिद रहमान का बताया जा रहा है।
जिला प्रशासन ने पाक नागरिक आबिद रहमान, गुड्डी आपा, उमर फारुख और आमना खातून की बजरिया और नाला रोड दारुल मौला की संपत्तियों और आमना खातून की कंघी मोहाल स्थित संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के रूप में चिंहित किया गया था। इसमें चमनगंज स्थित 99/14 राम जानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन है जहां आज भी मंदिर के अवशेष दिखते हैं। रेस्टोरेंट से लगा मंदिर का गुंबद जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। जिला प्रशासन ने जांच करायी जिस पर एसडीएम अनुराज जैन ने अपनी रिपोर्ट 17 नवंबर 2021 में जिलाधिकारी को सौंप दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर परिसर के आगे के हिस्से में 18 दुकानें किराए पर उठी थीं। इस संपत्ति की देखभाल एक चौकीदार करता था, जिसका बेटा मंदिर के चबूतरे पर साइकिल पंचर की दुकान चलाता था। ट्रस्ट की जमीन होने के चलते मंदिर का रिकार्ड नगर निगम के पंचशाला में दर्ज बताया जा रहा है। 1980 में मुख्तार बाबा ने यहां के दुकानदारों को भगा दिया और पाक नागरिक आबिद रहमान द्वारा उक्त संपत्ति का हिबा (दान) करा लिया। इसके बाद संपत्ति की उसने वसीयत करा ली और इस संपत्ति पर गुमटी की बैंक आफ बड़ौदा शाखा से 1.61 करोड़ रुपये लोन ले लिया। बैंक ने लोन न चुकाने पर नोटिस जारी की है।
प्रशासन के पास भी नहीं इस सवाल का जवाब
रामजानकी मंदिर ट्रस्ट की जमीन को लेकर एक सवाल बार बार उठ रहा है जिसका सवाल प्रशासन के पास भी नहीं है। जानकार बताते हैं कि चौराहे पर मंदिर हुआ करता था। इसलिए यह ट्रस्ट की जमीन तो हो सकती है लेकिन शत्रु संपत्ति नहीं। चूंकि मुख्तार बाबा ने पाक नागरिक आबिद रहमान के नाम का सहारा लेकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे इस संपत्ति का हिबा कराया है इसलिए जिला प्रशासन इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति मानकर कार्रवाई कर रहा है।
यदि यह संपत्ति रामजानकी ट्रस्ट की है तो फिर शत्रु की कैसे हो सकती है। क्योंकि रामजानकी ट्रस्ट का संचालन हिंदू समाज के हाथों में होगा। इसलिए मुस्लिम व्यक्ति इसे कैसे बेच और खरीद सकता है। चूंकि रामजानकी मंदिर की बात एसडीएम की रिपोर्ट में है इसलिए अब यक्ष प्रश्न खड़ा है कि मंदिर कहां गया?
बाबा बिरयानी रेस्टोरेंट संचालक को नोटिस जारी की गई है। संपत्ति से जुड़े समस्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए दस दिनों का समय दिया गया है। उसके बाद ही कार्रवाई शुरू होगी।