फिरोजाबाद | उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिला जज हरवीर सिंह ने 42 साल पहले देश और प्रदेश में हड़कंप मचाने वाली 10 दलितों के नरसंहार मामले में सजा सुनाई है. इसमें शामिल आरोपी को आजीवन कारावास और 55 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई है. अर्थदण्ड न देने पर 11 महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. यह मामला थाना शिकोहाबाद के ग्राम सादूपुर का है.
पूरा मामला
साल 1981 के दौरान फिजोराबाद में दस दलितों की निर्मम हत्या की गई थी. इस वारदात में दो अन्य लोग घायल हुए थे. इस मामले में दस आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. जब यह वारदात हुई थी, उस वक्त शिकोहाबाद थाना मैनपुरी जिले के अंतर्गत आता था और साल 1989 में फिरोजाबाद जिला घोषित होने के बाद यह फिरोजाबाद में शामिल हो गया.
पुलिस ने विवेचना बाद दस आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इसके अलावा मुकदमा चलने के दौरान 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक आरोपी गंगा सहाय को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है, जिसकी उम्र 90 वर्ष है और वो गढ़ी दानसहाय थाना शिकोहाबाद का रहने वाला है.
जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव उपाध्याय ने कहा कि मैनपुरी जिले में 1981 में 10 हरिजनों की निर्मम हत्या कर दी गई थी, इसमें दो महिलाएं घायल हुई थीं. 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उसके सारे आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक जिंदा है. गंगा सहाय नाम के मुल्जिम को सजा हुई है.
जिला शासकीय ने कहा कि माननीय जनपद न्यायाधीश के नेतृत्व में पुराने मुकदमों के त्वरित विचारण का जो अभियान चल रहा है, उसी क्रम में माननीय जिला अधिकारी महोदय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का इसमें योगदान है. इस मामले में मैंने पैरवी की है. यह मुकदमा कोर्ट के आदेश के बाद फिरोजबाद ट्रांसफर हुआ था.
सरकार ने पूरे नहीं किये वादे
गांव में रहने वाले राम मरोसी ने कहा कि मेरे घर के पांच लोग मारे गए थे और गांव में कुल दस लोग मारे गए थे. मेरे तीन बच्चे, भतीजे और भौजाई मारी गई थी.
पीड़ितों के परिजन कहते हैं कि…
नरसंहार में मेरे तीन भाई और बहन मारे गए थे. सरकार ने घोषणा की थी कि बच्चों के बालिग होने पर नौकरी दी जाएगी लेकिन सरकार ने कोई नौकरी नहीं दी. हम लोग मुख्यमंत्री के पास गए और शिकायत किए लेकिन आज हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई. बड़े-बड़े नेता आए थे उन्होंने भी कहा था कि बिजली फ्री देंगे…लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
गांव में ही रहने वाले राम लोहित ने कहा कि वारदात के बाद बहुत सारी सुविधाओं की घोषणा की गई थी लेकिन कुछ नहीं दी गई है. कुछ सुविधाएं जो मिली भी थीं उन पर दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है. हॉस्पिटल के पास दुकानें मिली थीं, वो हमें नहीं मिल सकीं. नौकरी वगैरह सांत्वना के तौर पर दी गई थी, जिनको बाद में हटा लिया गया.