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सृजन शक्ति वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ द्वारा संस्कृति विभाग, उ.प्र. के सहयोग से हुआ नाटक जांच पड़ताल का शानदार मंचन नाटक में दिखलाया गया कि एक छोटे से शहर में सिर से नख तक हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है।नाटक में दिखलाया गया कि एक छोटे से शहर में सिर से नख तक हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है।

20 मार्च, लखनऊ, उत्तर प्रदेश | सृजन शक्ति वेलफेयर फाउंडेशन लखनऊ द्वारा संस्कृति विभाग, उ.प्र. के सहयोग से बीएम शाह प्रेक्षागृह, भारतेन्दु नाट्य अकादमी में रविवार को अनुकृति रंगमंडल कानपुर के कलाकारों ने नाटक जांच पड़ताल का शानदार मंचन किया।

नाटक में दिखलाया गया कि एक छोटे से शहर में सिर से नख तक हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। वहां के मेयर गजेन्दर बाबू (महेन्द्र धुरिया) को एक दिन खबर मिलती है कि केन्द्र ने राज्य की जांच पड़ताल के लिए उच्चधिकारों से लैस एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया है। मेयर सहाब की इमरजेंसी मीटिंग में मैजिस्ट्रेट संकटा प्रसाद (दीपक राज राही), सिविल सर्जन (तुषार पांडेय), स्कूल इंस्पेक्टर (सुरेश श्रीवास्तव), पोस्टमास्टर (दिलीप सिंह) व कोतवाल (नरेन्द्र) आदि सभी अफसर इस दिन बुलायी मुसीबत से निजात पाने के उपाय खोजते हैं।

संयोग से इसी दौरान एक होटल में दिल्ली से आये एक युवक कुमार को यह भ्रष्ट अफसर जांच अधिकारी समझ बैठते हैं। मेयर साहब खुद एवं अपने अफसरान को बचाने की नियत से इस युवक कुमार (विजयभान) को मेहमान बना कर होटल से अपने घर ले आते हैं। मेयर की दूसरी पत्नी इमरती देवी (शुभी मेहरोत्रा)और उनकी पहली पत्नी की की बेटी बेबी (दीपिका सिंह) के बीच कुमार को पटाने की होड़ लगी है। अफसरों के भ्रष्ट आचरण से बुरी तरह परेशान व्यापारी भी कुमार से शिकायत करने पहुंचते हैं।

 

 

बीच-बीच में मेयर के विदूषक सरीखे सेवक गोबर सिंह (विकास राय), झूलन (अलख त्रिपाठी), लोटा प्रसाद (आकाश शर्मा) व चिलमची मियां (राघव प्रजापति) अनायस ही दर्शकों को ठहाके लगाने को विवश करते हैं। मेयर, उनके अफसरों तथा व्यापारियों से लबी रकम वसूल के बाद कुमार जब रफूचक्कर हो जाता है तब कहीं यह राज खुलता है कि वह (कुमार) जांच अधिकारी नहीं एक साधारण युवक था। तभी सर्किट हाउस का चपरासी मेयर साहब के बंगले पहुंच कर बताता है कि केन्द्र से भेजा गया सचमुच का जांच अधिकारी यहां पहुंच चुका है।

सभी प्रमुख कलाकारों के साथ ही राजाराम राही, महेश चंद्र, विजय भास्कर, शिवेन्द्र त्रिवेदी, प्रमोद शर्मा का भी अभिनय बेहतरीन रहा।

प्रसिद्ध रूसी लेखक निकोलई वैसलीविच गोगोल के प्रसिद्ध नाटक द गवर्नमेंट इंस्पेक्टर पर आधारित और संजय सहाय द्वारा हिन्दी में रूपांतरित इस नाटक का निर्देशन कृष्णा सक्सेना ने किया जबकि सह निर्देशन, संगीत डा. ओमेन्द्र कुमार का था।

बिहार की लोकज भाषा, वहां की प्रचलित आम बोलचाल की शैली एवं जुबान पर चढ़े मुहाबरों का इस नाटक में बखूबी इस्तेमाल किया गया जो दर्शकों को ठहाके लगाने को विवश करता है।

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