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योगी सरकार की पहल पर अलीगढ़ के अलावा गोरखपुर में भी होगी होटल प्रबंधन की पढ़ाई होटल प्रबंधन में दक्ष होंगे उत्तर प्रदेश के युवा

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अब युवाओं को रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए दिल्ली या दूसरे प्रदेशों में नहीं भटकना पड़ेगा। खासकर, होटल प्रबंधन के छात्रों को प्रदेश में ही बेहतर पाठ्यक्रम में दाखिले की सुविधा मिलेगी और वो पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद प्रदेश या देश के किसी भी हिस्से में रोजगार पा सकेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में अलीगढ़ के फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट (एफसीआई) को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (एसआईएचएम) में उच्चीकृत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। वहीं, गोरखपुर में भी सरकार होटल प्रबंधन संस्थान की स्थापना करने जा रही है। इन दोनों संस्थानों के जरिए प्रदेश के युवा होटल प्रबंधन के क्षेत्र में अपना भविष्य संवार सकेंगे।

17 पाठ्यक्रमों में शिक्षण और प्रशिक्षण
अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश सरकार ने एफसीआई को उच्चीकृत/उन्नयन कर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (एसआईएचएम) के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। योगी सरकार के इस निर्णय से संस्थान की क्षमता का विस्तार होगा। प्रतिवर्ष लगभग 1700 से अधिक युवक व युवतियों को परास्नातक डिग्री, परास्नातक डिप्लोमा, स्नातक डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों को मिलाकर कुल 17 प्रकार के पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाना संभव हो सकेगा। शैक्षणिक संस्थान के प्रारूप में परिवर्तन होने के फलस्वरूप रोजगारपरक स्नातक स्तरीय विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षण-प्रशिक्षण होगा। प्रदेश स्तर और स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और स्थानीय विकास भी होगा। इस परियोजना पर आने वाले वास्तविक व्यय भार का आकलन योजनानुसार किया जाएगा।

गोरखपुर भी बनेगा होटल प्रबंधन का गढ़
उधर, गोरखपुर में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (एसआईएचएम) की शुरुआत का निर्णय लिया है। गोरखपुर में 6 एकड़ की भूमि में संस्थान के विशाल परिसर का निर्माण होगा। इसके लिए भूमि का चयन हो चुका है और जल्द ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। यहां 400 से अधिक छात्र-छात्राओं को पढ़ाने की व्यवस्था होगी। साथ ही, डिप्लोमा से लेकर स्नातक और परास्नातक डिग्री तक के पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे।

पूरे प्रदेश के छात्रों को मिलेगा लाभ
प्रदेश में इन दो राज्य स्तरीय होटल प्रबंधन संस्थानों की शुरुआत के साथ ही पूरे प्रदेश के छात्रों को इसका फायदा मिलने जा रहा है। इन संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को कम खर्च पर होटल प्रबंधन की पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। निजी संस्थानों की तुलना में इन संस्थानों में शुल्क काफी कम होगा और सुविधाओं का स्तर भी बेहतर होगा। साथ ही, योग्य शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को शिक्षा और प्रशिक्षण मिल सकेगा। यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के पास प्रदेश और देश के किसी भी हिस्से में होटल प्रबंधन के तहत रोजगार का अवसर रहेगा।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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