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धरती पर मौजूद “नर्क का दरवाज़ा” होने वाला है बंद, 50 सालों से लगातार जल रही है भयंकर आग तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति (Turkmenistan President) गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव ने हाल ही में एक बड़ा फैसला किया है जिसने सभी को चौंका दिया है.

नई दिल्ली | आपने अक्सर फिल्मों और टीवी सीरियल में देखा होगा कि दुनिया के पार एक स्वर्ग है और एक नर्क भी है। स्वर्ग में जहां सब कुछ अच्छा होता है वहीं नर्क में लोगों को धधकती आग में डाल दिया जाता है। नर्क में हमेशा ही आग जलती रहती है और जो लोग उसमें जाते हैं उन्हें उनकी जिंदगी की सजा दी जाती है. पर क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ‘नर्क का दरवाजा’ है ? अब खबर आई है कि इस द्वार को बंद किया जाने वाला है।

तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव ने हाल ही में एक बड़ा फैसला किया है जिसने सभी को चौंका दिया है। दरअसल, तुर्कमेनिस्तान में एक विशाल क्रेटर यानी गड्ढा मौजूद है जो करीब 230 फीट चौड़ा है। इस गड्ढे से जुड़ी विचित्र बात ये है कि इसमें पिछले 50 सालों से आग जल रही है। अब राष्ट्रपति ने इस गड्ढे को ढकने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने अपने मंत्रियों को ये ऑर्डर दिए हैं कि वो विश्व एक्सपर्ट्स को खोजें जो इस क्रेटर को बंद कर सके।

50 साल से जल रहा है गड्ढा
आपको बता दें कि ये विशाल क्रेटर काराकुम रेगिस्तान में मौजूद है जो अश्गाबत शहर से करीब 160 मील दूर है। हर वक्त आग जलते रहने के कारण ही इसे माउथ ऑफ हेल या गेट ऑफ हेल कहा जाता है। हैरानी की बात ये है कि पिछले 50 सालों से लगातार इस गड्ढे की आग जल रही है और कभी इसे बुझाया नहीं जा सका है। राष्ट्रपति ने इस कारण से मंत्रियों को ये ऑर्डर दिया है कि वो गड्ढे को बंद करवाने का काम करें क्योंकि लगातार निकल रहे धुएं से वायु प्रदूषण हो रहा है और आसपास रह रहे लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है।

कैसे लगी गड्ढे में आग?
ये गड्ढा हमेशा ही यहां मौजूद नहीं था. दावा किया जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ के हालात ठीक नहीं थे। उन्हें तेल और प्राकृतिक गैस की काफी आवश्यकता थी। उस वक्त वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में खोदाई शुरू की और तेल खोजने लगे। उन्हें प्राकृतिक गैस तो मिली मगर जहां उन्होंने उसे खोजा वहां जमीन धंस गई और ये विशाल गड्ढे बन गए। गड्ढों में से मीथेन गैस का रिसाव तेजी से हुआ। वायुमंडल को ज्यादा नुकसान ना पहुंचे तो इसलिए उन्होंने गड्ढे में आग लगा दी। उन्हें लगा था कि जैसे ही गैस खत्म होगी, वैसे ही आग भी बुझ जाएगी, मगर ऐसा हुआ नहीं और 50 साल बाद भी गैस लगातार जल रही है। हालांकि इस दावे की सच्चाई के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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