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MP:ईको टूरिज्म से प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसधानों का संरक्षण और स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ दिया जायेगा

वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री रामनिवास रावत ने वन भवन में मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड की साधारण सभा की 15वीं बैठक में कहा कि ईको टूरिज्म से प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ के अवसर प्रदान किये जायेंगे। श्री रावत ने कहा कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता बढ़ाना हमारा लक्ष्य होगा। स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने से पर्यावरण और स्थानीय समुदायों के लिये लाभकारी होगा।

वन मंत्री श्री रावत ने कहा कि मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व में सिंगल प्लास्टिक को बैन किया जाना सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूह के सदस्यों से कपड़े का थैला तैयार कराकर पर्यटकों को सशुल्क उपलब्ध करायें, जिससे पर्यटक पार्क में प्लास्टिक बैग न लायें। पर्यटकों की सुविधा के लिये पार्क प्रबंधन वाटर बॉटल भी सशुल्क उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि बोर्ड के कार्यकलापों एवं गंतव्य स्थलों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाये, जिससे अभ्यारण्यों में पर्यटकों का रुझान बढ़े। मंत्री श्री रावत ने कहा कि ईको पर्यटन से स्थानीय समुदाय की आजीविका के अवसर विकसित किये जायें। इससे वनों पर उनकी निर्भरता कम होगी और वनों का संरक्षण भी हो सकेगा। मंत्री श्री रावत ने स्थानीय समुदाय के सदस्यों में क्षमता विकास एवं कौशल उन्नयन के लिये गाइड प्रशिक्षण, अतिथि सत्कार, खानसामा और अनुभूति प्रेरक प्रशिक्षण पर जोर दिया।

वन मंत्री श्री रावत ने कहा कि जल-प्रपात पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय लोगों को जल आधारित सुरक्षा उपायों, खोज और बचाव, वन नियमों एवं दिशा-निर्देशों, नदी पार करना, जंगल में प्राथमिक चिकित्सा, जंगल ट्रेकिंग की मूल बातों का प्रशिक्षण दिया जाये। साथ ही जल-प्रपात में दुर्घटना, बचाव एवं प्राथमिक चिकित्सा संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जाये।

वन मंत्री श्री रावत ने मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड के वर्ष 2022-23 एवं वर्ष 2023-24 के वार्षिक प्रतिवेदन का अनुमोदन किया। साथ ही मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड में प्रबंधक आईटी और प्रबंधक ईको पर्यटन की नियुक्ति करने की अनुमति का अनुमोदन दिया।

बैठक में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अशोक वर्णवाल, मुख्य वन संरक्षक श्री असीम श्रीवास्तव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-प्राणी और अधिकारी उपस्थित थे।

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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