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HR:एमरजेंसी का काला दिवस मनाने के लिये गुरु घर की गोलक का एक भी पैसा नहीं हुआ खर्च : झींडा

जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अमृतसर (एसजीपीसी) के साथ मिलकर काम करना चाहती है। एसएसजीपीसी ने एक प्रस्ताव पास करके एसजीपीसी को सिखों की सबसे बड़ी पार्लियामेंट संस्था बताते हुए कहा कि वे सभी सिख एसजीपीसी का आदर सत्कार करते हैं। हरियाणा कमेटी एक स्टेट बॉडी है, इसलिए एसजीपीसी के प्रधान व सदस्यों से अपील है कि वे एसजीपीसी के साथ बैठक कर दोनों राज्यों के मसलों पर बातचीत करके उनका समाधान करने का मंथन करें। प्रस्ताव में कहा गया कि चाहे वह मसले गुरुद्वारा साहिबान की जमीन-जायदाद, ट्रस्ट, स्कूल-कॉलेज एवं चल-अचल संपत्ति से हों या फिर अन्य कोई मसला। प्रस्ताव में दोहराया कि सभी मसलों का समाधान बातचीत के जरिए किया जाए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि यदि एसजीपीसी हरियाणा कमेटी का इस मामले में सहयोग करती है तो हरियाणा कमेटी उनकी आभारी रहेगी। एचएसजीपीसी के प्रधान जगदीश सिंह झींडा ने एमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित किए काला दिवस कार्यक्रम पर कहा कि एचएसजीपीसी के बारे में यह कहना गलत है कि कार्यक्रम पर गुरु घर की गोलक से खर्चा किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि काला दिवस कार्यक्रम पर गुरु घर की गोलक का एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। बता दें कि विरोधियों ने झींडा पर आरोप लगाते हुए यह मांग की थी कि काला दिवस मनाने पर गुरु घर की गोलक का एक भी पैसा खर्च न किया जाए।

झींडा ने कहा कि कि कार्यक्रम पर कुल 7 लाख 66 हजार 220 रुपये खर्च हुए। पंजाब से आए कुछ नेताओं ने कार्यक्रम की भरपूर सराहना की। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में प्रेम सिंह चन्दूमाजरा तथा कईं अन्य पंजाब से आए नेताओं ने भाग लिया। प्रेम सिंह चन्दूमाजरा और हरियाणा के एमरजेंसी का दंश झेलने वाले अखिल भारतीय क्षतीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहेन्द्र सिंह तंवर ने तो काला दिवस कार्यक्रम में एमरजेंसी में यातनाएं सहन करने और जेल जाने के बारे में भी विस्तार से उपस्थित लोगों को बताया। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर जहां परिवारवाद को बढ़ाया देने, लोकतंत्र का हनन करने, संविधान की अवहेलना करने और तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाने तथा सत्ता में रहने के लिए किसी भी हद तक जाने का आरोप लगाया गया तो वहीं शिरोमणी अकाली दल पर भी परिवारवाद फैलाने का आरोप लगाया गया। अब दोनों ही दलों की हालत राजनीतिक तौर पर खराब हो रही है।

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