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10 वाले दही की कीमत बढ़कर हुई 15, सरकार ने लगाया 5% GST, कंपनी ने बढ़ा दी 50% कीमत केंद्र सरकार ने पिछले महीने पहली बार दूध से बने पैक्ड प्रोडक्ट्स को GST के दायरे में शामिल किया है।

नई दिल्ली | इतनी उम्मीद तो किसी को नहीं होगी कि 10 रुपये वाले पैक्ड दही की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो जाएगी। कीमतों में इजाफा होना तो पहले से ही तय था। लेकिन 10 रुपये वाली चीज सीधे 15 रुपये की हो जाएगी, ये हैरान करने के साथ-साथ जनता को परेशान करने वाला फैसला भी है।

दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले महीने पहली बार दूध से बने पैक्ड प्रोडक्ट्स को GST के दायरे में शामिल किया है। जिसे 18 जुलाई से पूरे देश में लागू कर दिया गया है। सरकार ने पैक्ड दूध उत्पादों पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी नि‍र्धारि‍त कि‍या है। लेकिन अब कंपनियां कीमतों में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर रही हैं।

देश की तमाम नामी कंपनियां पैक्ड दही उपलब्ध कराती हैं, जिसमें से एक Britannia भी है। कंपनी भारतीय बाजार में 80g, 150g और 400g पैक्ड दही बेचती है। अभी तक बाजार में 80g पैक्ड दही की कीमत 10 रुपये थी। लेकिन आज से बाजार में यही 80 ग्राम वाला पैक्ड ब्रिटानिया का दही 15 रुपये में बिक रहा है। यानी कंपनी ने इसके दाम 10 रुपये से सीधे बढ़ाकर 15 रुपये कर दिए हैं। ग्राहक अब 10 रुपये वाला दही लेने के लिए 5 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे।

बता दें, सरकार ने पैक्ड दही पर 5% फीसदी का जीएसटी लगाया है, लेकिन अब कंपनियां जीएसटी का हवाला देकर कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी कर रही हैं। नियम के मुताबिक 5 फीसदी जीएसटी लागू होने से 10 रुपये वाली दही की कीमत बढ़कर 10.50 रुपये होनी चाहिए थी। लेकिन कंपनियां मनमाने तरीके से कीमतें बढ़ा रही हैं। इसका सीधा असर आम जनता पर होने वाला है, जो महंगाई की वजह से पहले से ही त्रस्त है।

सभी रही हैं कीमतों में इजाफा
इससे पहले पिछले महीने ही जीएसटी लागू होते ही सुधा कंपनी ने दही, लस्सी और छाछ की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी। 10 रुपये में मिलने वाली 150 ML सुधा की लस्सी 12 रुपये में मिल रही है। 140 ML मैंगो लस्सी की कीमत अब 10 रुपये की जगह 12 रुपये हो गई। वहीं, 180 एमएल छाछ की कीमत 10 रुपये से बढ़कर 12 रुपये हो गई। जबकि 80 ग्राम दही जो पहले 10 रुपये में मिलता था, वो अब 12 रुपये का कर दिया गया है।

अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या इसी तरह अन्य डेरी प्रोडक्ट्स की कीमत भी बढ़ जाएगी ?

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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