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लोगों के बीच उदासी की वजह बन रहे फिटनेस गैजेट, जानें क्या है स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना

फिटनेस गैजेट लोगों के जीवन में उदासी की वजह बन रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सकारात्मक जानकारी से स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है, लेकिन नकारात्मक डेटा से लोग खुद के स्वास्थ्य के बारे में अच्छा महसूस नहीं करते हैं।  

दुनिया में स्वास्थ्य से संबंधित गैजेट की लहर चल रही है। फिटनेस ट्रैकर्स से लेकर एप्पल इंक की वॉच पहनने वाले लाखों लोग रीयल-टाइम फीडबैक डिवाइस से जुड़े हुए हैं। ये गैजेट आपको अधिक व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर दैनिक अपडेट देते हैं।

एप्पल की घड़ी तीन रंगीन सर्कल के जरिए स्वास्थ्य से संबंधित अपडेट देती है। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट को मानें तो नवंबर में एप्पल वॉच के विभिन्न मॉडलों ने शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय वस्तुओं में से चार पर कब्जा कर लिया।  लेकिन, इस बारे में सोचना ज्यादा जरूरी है कि क्या हम 24 घंटे एक उपकरण की निगरानी में रहें।

एल्गोरिदम द्वारा प्रदान किए गए मनमाने लक्ष्य और नियमित सूचनाएं लगातार बताती रहें कि आप तनावग्रस्त, थके हुए और अनफिट हैं? ऐसी सूचनाएं आपको लगातार मिलती रहें तो क्या आप बेहतर महसूस कर पाएंगे, शायद नहीं।    

प्लेसिबो प्रभाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मानव मस्तिष्क पर प्लेसिबो और नोसेबो का बहुत प्रभाव पड़ता है। प्लेसिबो इफ़ेक्ट से एक मरीज का इलाज में विश्वास उसके स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव ला सकता है। इसका इलाज की दक्षता से कम और मरीज के गहरे विश्वास से ज्यादा लेना-देना होता है। 

नोसेबो इफेक्ट
नोसेबो इफेक्ट नकारात्मक प्रभाव डालता है। नोसेबो की अवधारणा पहली बार 1961 में सामने आई। दर्द का एहसास जानकारी और विवरण में बदलाव के साथ बढ़ सकता है। जब दर्दनाक चोट के इतिहास पर ध्यान दिया जाता है, तो संदिग्ध मस्तिष्काघात वाले मरीजों ने खराब तंत्रिका-संज्ञानात्मक प्रदर्शन दिखाया है। अप्रिय डेटा प्रदान किए जाने पर एकाग्रता लड़खड़ा जाती है। कभी-कभी स्वास्थ्य से जुड़े किसी विशिष्ट संकेत के रंग में बदलाव से भी असुविधा हो सकती है। 

सब कुछ सही होने के बाद भी बुरा लगता है 
फिटनेस पॉडकास्टर और यूट्यूबर अली स्पाग्नोला कहते हैं कि हेल्थ डिवाइस मेरी नींद दुरुस्त करने की जानकारी के लिए है। मैं जागूंगा और बहुत अच्छा महसूस करूंगा। फिर मैं अपना स्कोर देखूंगा। कभी-कभी यह बहुत अच्छा नहीं होता है, तो तनाव में आ जाता हूं। सब कुछ सही होने के बाद भी बुरा लगता है।  

सोशल मीडिया उदासी की बड़ी वजह  
नोसेबो इफेक्ट सोशल मीडिया में पूरी तरह हावी हो गया है। इंस्टाग्राम और फेसबुक ने उपयोगकर्ताओं को चिंतित और उदास महसूस कराया है। हिट, लाइक और रीट्वीट की लगातार प्रतिक्रिया ने इस बात को कमजोर कर दिया है कि रचनात्मकता की सराहना कैसे होनी चाहिए। 

रोजमर्रा की जिंदगी पर भी प्रभाव 
नोसेबो इफेक्ट का रोजमर्रा की जिंदगी में प्रभाव पड़ रहा है। लोग अपनी आदतों को निर्देशित करने के लिए डेटा में अधिक विश्वास करने लगे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सितंबर में बताया कि इंस्टाग्राम किशोर लड़कियों को अपने शरीर के बारे में बुरा महसूस कराता है। यह इस तरह नहीं होना चाहिए था। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां हम अंधी दौड़ में शामिल हो गए हैं। हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लगातार जानकारी देने के लिए अपनी कलाई पर लगे उपकरणों पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं। जो ठीक नहीं है। 

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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