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छत्‍तीसगढ़ के इन रीपा केंद्रों में बरती गई अनियमितता, जांच के लिए 10 अधिकारियों की टीम गठित, सात दिनों में सौपेंगे रिपोर्ट

 रायपुर संभाग के रीपा (ग्रामीण औद्योगिक पार्क) केंद्रों की जांच के लिए दस सस्यीय टीम गठित की गई है। टीम में प्रमुख सचिव के साथ अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं। सात दिनों में 17 रीपा केंद्रों की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जानी है। पंचायत एंव ग्रामीण विकास विभाग के उप सचिव अजय कुमार त्रिपाठी ने एक आदेश भी जारी किया है। सात अधिकारियों को दो-दो तथा तीन को एक-एक केंद्रों के जांच की जिम्मेदारी मिली है।

बताते चलें कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू किए गए रीपा में जमकर अनियमितता बरती गई है। कुछ जिलों में रीपा के नाम पर राशि तो खर्च कर दी गई है, लेकिन अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है। ऐसे ही कुछ जिलों में सिर्फ पैकेजिंग सेंटर तो कुछ में ताले लग गए हैं। रीपा में सही तरीके से न पार्किंग बनाई गई है और न ही गोदाम का निर्माण हुआ है। राज्य सरकार ने 15 फरवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी से तीन महीने के भीतर जांच कराने का निर्णय लिया था।

प्रदेश के 146 विकासखंडों में संचालित 300 रीपा केंद्र जांच के दायरे में है। रीपा में भ्रष्टाचार की जांच के लिए संभागवार अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। रायपुर संभाग की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव निहारिका बारिका, दुर्ग की सचिव कमलप्रीत सिंह, बिलासपुर की सचिव मुकेश बंसल, बस्तर की सचिव अंकिता आनंद और सरगुजा की सचिव शमी आबिदी को सौंपी गई है। संभागवार अधिकारियों के नेतृत्व में अलग-अलग टीम गठित कर रीपा केंद्रों की जांच की जा रही है।

रायपुर संभाग के रीपा केंद्रों की जांच के लिए दस सस्यीय टीम में प्रमुख सचिव निहारिका बारिक, सचिव राजेश राणा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी भीम सिंह, आयुक्त दीपक सोनी, संचालक रजत बंसल, संयुक्त सचिव तारण प्रकाश सिन्हा, संचालक प्रियंका महोबिया, मिशन संचालक चंदन संजय त्रिपाठी, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक नम्रता जैन और संयुक्त सचिव अशोक चौबे शामिल हैं।

जांच के यह प्रमुख बिंदु निर्धारित

– आवंटित भूमि किसके स्वामित्व में थी, यदि निजी भूमि थी तो आवंटन का आधार क्या था। क्या निजी भूमि पर पूर्व में अधोसंरचना निर्मित थी।

– क्या रीपा के लिए विजन डाक्यूमेंट बनाया गया है, किसने बनाया है। डाक्यूमेंट बनाने वाले का चयन किस आधार पर किया गया।

– रीपा के लिए तकनीकी सहायता एजेंसी निर्धारित किया गया है, यदि हां तो एजेंसी चयन का क्या आधार था।

– अधोसंरचना निर्माण अंतर्गत क्या निर्माण किया गया, निर्माण एजेंसी कौन था, चयन किस आधार पर किया गया। अधोसंरचना निर्माण का भुगतान हुआ है कि नहीं।

– रीपा मशीनों की खरीदी का आधार क्या था, क्रय नियम का पालन किया गया है कि नहीं, किसके आदेश से एजेंसी तय की गई।

– रीपा में कितने स्वसहायता समूह जुड़े हुए हैं। क्या इनके द्वारा केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। रीपा में क्या अन्य मदों से व्यय किया गया है।

रायपुर संभाग के इन विकासखंडों में संचालित रीपा केंद्र की होगी जांच

महासमुंद विकाखंड अंतर्गत बिरकोनी

आरंग विकासखंड अंतर्गत लखौली

भाटापारा विकासखंड अंतर्गत गुडेलिया

पलारी विकासखंड अंतर्गत गिर्रा

कुरूद विकासंखड अंतर्गत हचलपुर

धमतरी विकासखंड अंतर्गत भटगांव

मगरलोड विकासखंड अंतर्गत खिसोरा

मगरलोड विकासखंड अंतर्गत भेंड्री

गरियाबंद विकासखंड अंतर्गत चिखली

फिंगेश्वर विकासखंड अंतर्गत भेंड्री

धरसींवा विकासखंड अंतर्गत टेमरी

नगरी विकासखंड अंतर्गत सांकरा

नगरी विकासखंड अंतर्गत गट्टासिल्ली

कुरूद विकासखंड अंतर्गत गातापारा

धमतरी विकासखंड अंतर्गत अछोटा

पथौरा विकासखंड अंतर्गत गोडबहाल

बलौदाबाजार विकासखंड अंतर्गत लटूवा

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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