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दकियानूसी सियासत के चलते दारा शिकोह को न्यायोचित स्थान नहीं मिला, बोले केंद्रीय मंत्री नकवी

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि दकियानूसी सियासत के चलते मुगलकालीन शहजादे दारा शिकोह की विरासत को भुलाने और भरमाने की साजिश की गई। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि ”धर्मनिरपेक्षता के सूरमाओं” की सरकारों ने कई अन्य महान लोगों की तरह ही दारा शिकोह को भी न्यायोचित स्थान व पहचान नहीं दी और उनके कार्यों को महत्व नहीं दिया। दारा शिकोह मुगल शासक शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र थे। वह एक विचारक, कवि और विद्वान थे। शाहजहां का उत्तराधिकारी बनने के लिए छोटे भाई औरंगजेब ने उनकी हत्या कर दी थी। 

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक नकवी ने यह टिप्पणियां दारा शिकोह पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कही। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का विषय था ”दारा शिकोह क्यों आज भी मायने रखते हैं: उनकी शख्सियत और उनके कार्यों की याद”। नकवी ने कहा कि सामाजिक सद्भाव, सौहार्द, सहिष्णुता, सर्वधर्म सम्भाव भारत की आत्मा है और ”एकता में अनेकता” भारत की ताकत है तथा दारा शिकोह समस्त जीवन इसी संस्कृति, संस्कार के सार्थक सन्देश वाहक रहे।

 उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां सभी धर्मों, सम्प्रदायों के मानने वाले करोड़ों लोग शांति, सौहार्द, सहिष्णुता के साथ रह कर एक मिसाल पेश करते हैं। भारत में जहां सभी पंथों, सम्प्रदायों को मानने वाले रहते हैं, वहीं भारत में किसी भी मजहब को ना मानने वाले लोग भी रहते हैं। उन्होंने कहा, ”यही अनेकता में एकता की ताकत भारत को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ बनाती है। भारत में आस्तिक और नास्तिक, दोनों को समान संवैधानिक एवं सामाजिक अधिकार और सुरक्षा है।” 

साझा विरासत को मजबूत करना भारत की खासियत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां सब धर्मों के त्यौहार-पर्व मिल-जुल कर मनाए जाते हैं। उन्होंने कहा, ”हमें इस साझा विरासत और ताकत को मजबूत रखना है। सहिष्णुता हमारा संस्कार एवं सह-अस्तित्व हमारी संस्कृति है। इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ भारत की आत्मा पर चोट होगी।” उन्होंने कहा कि भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक-धार्मिक ज्ञान का केंद्र है, वहीं ”सर्व धर्म सम्भाव” एवं ”वसुधैव कुटुंबकम” की प्रेरणा का स्रोत भी है। 

उन्होंने कहा, ”सह-अस्तित्व के संस्कार और सहिष्णुता की संस्कृति, संकल्प को किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं होने देना है। यह हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।” नकवी ने कहा कि तमाम साजिशों के बावजूद हमारी संस्कृति-संस्कार-संविधान ने ”अनेकता में एकता” की डोर को कमजोर नहीं होने दिया। समावेशी विकास के रास्ते में बाधाएं आई भी तो इसी ताकत ने देश को रुकने नहीं दिया। 

नकवी ने कहा, ”तथाकथित सेक्युलरिज़्म के सूरमाओं की सरकारों ने कई अन्य महान लोगों की तरह ही दारा शिकोह को भी न्यायोचित स्थान, पहचान नहीं दी, उनके कार्यों को महत्व नहीं दिया जबकि दारा शिकोह का व्यक्तित्व बहुत बहुमुखी था। वह एक बहुत ही जिंदादिल इंसान, एक विचारक, महान शायर, विद्वान, सूफी और कला की गहरी समझ रखने वाली शख्सियत थे।” 

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव डॉ. कृष्ण गोपाल, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपित प्रोफेसर तारिक मंसूर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपित प्रोफेसर नजमा अख्तर, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के के कुलपित प्रोफेसर ऐनुल हसन सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे। 

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Budget 2022 : मनमोहन बनाम मोदी, जनिए किस सरकार ने वसूला ज़्यादा TAX नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश करेंगी. बजट में एक आम आदमी की नजर इनकम टैक्स में छूट पर ही रहती है. कोरोना महामारी के चलते आम आदमी की कमाई बहुत प्रभावित हुई है, इसलिए इस बार आम आदमी इनकम टैक्स कोई बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रहा है. मोदी सरकार में बढ़ी टैक्स-फ्री इनकम मोदी सरकार में टैक्सपेयर्स को राहत देने की कोशिश हर बजट में की गई है. मनमोहन सरकार (Manmohan Government) में सालाना 2 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता था. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने पहले ही बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दी थी. यानी, सालभर में अगर 2.5 लाख रुपये तक कमाते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा. आया नया इनकम टैक्स सिस्टम 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया था, उसमें उन्होंने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की थी. नई स्कीम में ये कहा गया कि अगर आप सारी छूट छोड़ देते हैं तो आपको कम टैक्स देना होगा. नई स्कीम में नए स्लैब भी जोड़े गए. वहीं, पुरानी स्कीम उन लोगों के लिए थी जो छूट का लाभ लेते थे और कई जगह निवेश करते थे. मोदी सरकार में इनकम टैक्स को लेकर क्या-क्या बदलाव हुए? ये जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सरकार और मोदी सरकार में कितनी कमाई पर कितना टैक्स लगता था. इसे आप इस टेबल से समझ सकते हैं. मोदी सरकार में इनकम टैक्स में हुए बदलाव 2014 : टैक्स छूट सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख की गई. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये सीमा 2.5 लाख से 3 लाख हुई. साथ ही सेक्शन 80C के तहत, टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई. 2015 : सेक्शन 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की टैक्स छूट. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई करने वालों पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. 2016 : सालाना 5 लाख से कम कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये की गई. घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट 24,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई. घर खरीदने वालों को 35 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज के लिए 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई. 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी किया गया. 2017 : सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये की टैक्स छूट दी गई. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स रेट 10% से घटाकर 5% किया गया. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया. 2018 : सैलरीड क्लास वालों के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. इसके बदले में 15,000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म की गई. सेस 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई. साथ ही 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम करने की भी सुविधा दी. 2019 : टैक्स रिबेट की लिमिट 2,500 से बढ़ाकर 12,500 रुपये की गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया. किराए पर टीडीएस की सीमा 2.40 लाख रुपये की गई. पहले ये सीमा 1.80 लाख रुपये थी. बैंक या डाकघरों में जमा रकम पर आने वाले 40,000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. 2020 : नई इनकम टैक्स स्कीम की घोषणा की गई. अब टैक्सपेयर्स के पास इनकम टैक्स स्लैब के दो ऑप्शन हैं. पुरानी स्कीम में सारी छूट का लाभ मिलता है, लेकिन नई स्कीम में किसी छूट का लाभ नहीं मिलता है. अगर किसी भी तरह की कोई छूट नहीं लेते हैं तो नई स्कीम से टैक्स जमा कर सकते हैं. 2021 : 75 साल से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने की छूट मिली, बशर्ते उनकी कमाई पेंशन और बैंक से मिलने वाले ब्याज से होती हो. पिछले बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई थी.

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